सोलन: शूलिनी यूनिवर्सिटी के नेतृत्व प्रशिक्षण केंद्र और शूलिनी पहल फाउंडेशन के संयुक्त प्रयास ‘प्रगति’ (ग्रामीण महिला उद्यमी विकास कार्यक्रम) ने अब अपने दूसरे चरण में प्रवेश कर लिया है। सोलन की सलोगरा पंचायत के टिक्कर गांव में आयोजित एक विशेष सत्र के साथ इसकी औपचारिक शुरुआत हुई, जहां ग्रामीण महिलाओं के चेहरों पर आत्मनिर्भर बनने का उत्साह साफ देखा गया।
गौरतलब है कि इस कार्यक्रम के पहले चरण में इन महिला उद्यमियों, जिन्हें सखियों का नाम दिया गया है, को अपना रोजगार शुरू करने के लिए जरूरी प्रशिक्षण और मशीनरी उपलब्ध कराई गई थी। अब दूसरे चरण में इन सखियों को अपने उद्यम को बड़ा बनाने और बाजार में विस्तार करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है, जिसकी जानकारी इस जमीनी समीक्षा बैठक में दी गई।

कार्यक्रम में मौजूद शूलिनी विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर विशाल आनंद ने इस पहल के दीर्घकालिक विजन को साझा किया। वहीं, डेनेसफा नो-एंड-को के संस्थापक जय ज़िराकी ने कहा कि असली विकास तभी संभव है जब संसाधनों का उपयोग समुदाय की वास्तविक जरूरतों को समझकर किया जाए और वह सीधे उनकी तरक्की में योगदान दे।
लीडरशिप कोचिंग केंद्र की एसोसिएट डायरेक्टर पायल जिंदल खन्ना ने बताया कि आईसीएफ-प्रमाणित प्रशिक्षकों (सारथी) और छात्र सलाहकारों (सहयोगियों) का निरंतर मार्गदर्शन इन महिलाओं की सफलता की कुंजी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं का दृढ़ संकल्प ही ‘प्रगति’ को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है और संस्था भविष्य में भी उन्हें हर संभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।