नाहन : ‘हौसले बुलंद हों तो आसमान भी छोटा लगने लगता है’— इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है सिरमौर जिले के नारग क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सैणधार के मल्होटी गांव के अंशुल शर्मा ने। भारतीय सेना में एक सिपाही के तौर पर अपनी सेवा शुरू करने वाले अंशुल अब अधिकारी (लेफ्टिनेंट) बनकर देश की रक्षा करेंगे।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा
अंशुल शर्मा एक साधारण लेकिन अनुशासित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता, प्रकाश दत्त शास्त्री, शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त हैं, जिन्होंने अपने बच्चों को हमेशा मेहनत और ईमानदारी की राह दिखाई। अंशुल की प्रारंभिक शिक्षा नारग के JVM स्कूल (10वीं) और पीएम श्री उत्कृष्ट विद्यालय नारग (12वीं) से हुई। बचपन से ही उनका सपना वर्दी पहनकर देश की सेवा करना था।

संघर्ष और सफलता की राह
अंशुल शर्मा का प्रारंभिक लक्ष्य भारतीय सेना में एक सैन्य अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ देना था, लेकिन नियति ने उनकी शुरुआत एक सैनिक (Soldier) के रूप में तय की। आमतौर पर एक सुरक्षित सरकारी नौकरी मिलने के बाद अधिकांश लोग संतोष कर लेते हैं, लेकिन अंशुल के भीतर अधिकारी बनने की ललक कम नहीं हुई।
सेना में सिपाही के तौर पर 7 वर्षों तक निष्ठापूर्वक देश की सेवा करने के दौरान भी उनकी आँखों में कंधे पर ‘दो सितारे’ लगाने का सपना हमेशा जीवंत रहा। इसी सपने को हकीकत में बदलने के लिए उन्होंने ड्यूटी की व्यस्तताओं के बीच अपनी पढ़ाई जारी रखी और सेना की आंतरिक ‘आर्मी कैडेट कॉलेज’ (ACC) परीक्षा में सफलता हासिल की। इसके बाद, उन्होंने सबसे कठिन माने जाने वाले ‘सर्विस सिलेक्शन बोर्ड’ (SSB) के इंटरव्यू को पार कर अपनी अद्वितीय प्रतिभा और दृढ़ इच्छाशक्ति का लोहा मनवाया।
बहुमुखी प्रतिभा: बेहतरीन गोल्फ खिलाड़ी
अंशुल न केवल सैन्य कौशल में माहिर हैं, बल्कि वह एक शानदार गोल्फ खिलाड़ी भी हैं। सेना में रहते हुए उन्होंने गोल्फ की कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और कई उपलब्धियां अपने नाम कीं। उनकी यही खेल भावना और अनुशासन उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।
आगे का सफर: IMA देहरादून में प्रशिक्षण
अंशुल शर्मा अब भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून में तीन वर्ष का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस ट्रेनिंग के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद, वह भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात होंगे।
क्षेत्र में खुशी की लहर
अंशुल की इस उपलब्धि से मल्होटी गांव और पूरे नारग क्षेत्र में जश्न का माहौल है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अंशुल की सफलता आज के उन युवाओं के लिए एक मिसाल है जो छोटी असफलताओं से हार मान लेते हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार हैं, तो आपकी वर्तमान स्थिति कभी भी आपके बड़े सपनों के बीच बाधा नहीं बन सकती।