सोलन: हिमाचल प्रदेश के सोलन की होनहार बेटी अपूर्वा ममगाँईं ने दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में आयोजित एक वैश्विक सम्मेलन में भारत का मान बढ़ाया है। 25 से 29 अक्टूबर तक चले ‘इंटरनेशनल फोरम वी द यूथ’ के इस प्रतिष्ठित वैश्विक सम्मेलन में अपूर्वा भारत की एकमात्र प्रतिनिधि (एक्सप्लोरर) के तौर पर शामिल हुईं। परिवर्तन के लिए जुड़ना (Connecting for Change) थीम पर आधारित इस मंच पर अपूर्वा ने पर्यावरण स्थिरता पर अपने प्रभावशाली विचार रखे, जिन्हें दुनिया भर से आए प्रतिनिधियों ने खूब सराहा।
27,000 आवेदकों को पीछे छोड़ पहुंचीं सियोल
इस वैश्विक मंच तक पहुंचने का सफर काफी चुनौतीपूर्ण था। फोरम ने दुनिया भर से 18 से 35 आयु वर्ग के युवाओं से छह अलग-अलग विषयों पर लगभग 27,000 आवेदन आमंत्रित किए थे। अपूर्वा द्वारा ‘एनवायरनमेंट सस्टेनेबिलिटी’ विषय पर लिखे गए आलेख के आधार पर, उन्हें पहले थाईलैंड के बैंकॉक में आयोजित एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन के लिए चुना गया।

अगस्त में हुए इस क्षेत्रीय सम्मेलन में वह भारत के पांच युवाओं में से एक थीं। बैंकॉक में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और नीति-पत्र में सक्रिय योगदान के आधार पर, उन्हें सियोल में होने वाले मुख्य वैश्विक सम्मेलन के लिए चुना गया, जिसमें दुनिया भर से केवल 150 युवाओं को ‘एक्सप्लोरर’ के रूप में आमंत्रित किया गया था।
कौन हैं अपूर्वा ममगाँईं?
अपूर्वा ममगाँईं के माता-पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और वह सिरमौर कल्याण मंच सोलन के अध्यक्ष प्रदीप ममगाईं की भतीजी हैं। भूगोल में स्नातक (ऑनर्स) करने के बाद, वह वर्तमान में दिल्ली स्थित ‘टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज’ से एनर्जी स्टडीज एंड मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर (मास्टर्स) कर रही हैं।
अपूर्वा ने बताया कि हिमालयी प्रदेश से होने के कारण उनका प्रकृति से हमेशा गहरा नाता रहा है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने शिक्षकों और परिजनों को देते हुए इच्छा व्यक्त की कि आने वाली पीढ़ियां पर्यावरण संरक्षण को केवल एक विषय न मानकर, इसे अपनी जीवन शैली का हिस्सा बनाएंगी।