सोलन: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के चलते स्कूल बंद होने पर भी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से स्कूल बुलाने के सरकारी आदेश का प्रवक्ता संघ ने कड़ा विरोध किया है।

प्रवक्ता संघ, जिला सोलन के अध्यक्ष जयलाल जलपाइक और महासचिव हेमंत कुमार ने एक बयान जारी कर कहा कि जब प्रशासन खुद मानता है कि भारी बारिश के कारण सड़कें बंद हैं और लोगों को अनावश्यक यात्रा न करने की सलाह दी जा रही है, तो ऐसे में शिक्षकों को स्कूल बुलाना न केवल गलत है, बल्कि उनकी जान को भी खतरे में डालना है।
जान जोखिम में डाल रहे शिक्षक
संघ ने कहा कि शिक्षक भी समाज का हिस्सा हैं और आपदा के समय उनका पहला कर्तव्य अपने परिवार, समाज और पड़ोस की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह आदेश शिक्षकों की मानवीय संवेदनाओं और उनकी परिस्थितियों की अनदेखी करता है।
सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें शिक्षक अपनी जान जोखिम में डालकर उफनते नदी-नालों और भूस्खलन वाली सड़कों को पार करके स्कूल पहुँच रहे हैं। संघ का कहना है कि जब छात्रों के लिए स्कूल भवन और रास्ते असुरक्षित हैं, तो शिक्षकों के लिए वे सुरक्षित कैसे हो सकते हैं?
राज्य में हजारों स्कूल ऐसे इलाकों में हैं, जहाँ सड़क, बाजार या स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध नहीं हैं। खराब मौसम में इन जगहों पर पहुँचना बेहद मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सिर्फ हाजिरी लगाने के लिए शिक्षकों को स्कूल बुलाना बिलकुल अनुचित है। प्रवक्ता संघ ने विभाग से ऐसे आदेशों को तुरंत रद्द करने की मांग की है।