शिमला: हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक तक में आर्थिक संकट गहरा गया है। हालात यह हैं कि स्कूलों के पास अब बिजली-पानी का बिल भरने और साफ-सफाई का सामान खरीदने तक के पैसे नहीं बचे हैं।
राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेश ठाकुर ने बताया कि वित्त वर्ष के 8 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक स्कूलों को समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत मिलने वाली ग्रांट जारी नहीं की गई है।

साफ-सफाई और पढ़ाई पर असर
महासंघ ने चिंता जताई है कि बजट न होने के कारण स्कूलों में बिजली और इंटरनेट के बिल पेंडिंग पड़े हैं। सबसे बुरा हाल स्वच्छता का है, स्कूलों में टॉयलेट क्लीनर, फिनाइल, झाड़ू, सैनिटाइज़र और वाइपर जैसी बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी बजट नहीं है। इससे स्वच्छ विद्यालय अभियान भी प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा, कक्षाओं के लिए चॉक-डस्टर, शिक्षण सामग्री और प्रयोगशाला का सामान भी नहीं खरीदा जा रहा।
सरकार से तुरंत बजट जारी करने की मांग
महासंघ ने सरकार से मांग की है कि स्कूलों की रुकी हुई ग्रांट तुरंत जारी की जाए। साथ ही, भविष्य में बिजली, इंटरनेट और सफाई जैसी नियमित जरूरतों के लिए स्थायी बजट का प्रावधान किया जाए, ताकि छात्रों की पढ़ाई और स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो।