शिमला: हिमाचल प्रदेश में पर्यटन और परिवहन की सूरत अब बदल जाएगी। हिमचा के उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश को स्विट्जरलैंड की तर्ज पर एक विश्वस्तरीय पर्यटन हब बनाने के लिए 8000 करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत से रोपवे परियोजनाओं का नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। इन परियोजनाओं से न केवल ट्रैफिक जाम से मुक्ति मिलेगी, बल्कि ये पर्यावरण के अनुकूल परिवहन का एक आधुनिक विकल्प भी प्रदान करेंगी, जिससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती और युवाओं को रोजगार मिलेगा।

शिमला में 1734 करोड़ का अर्बन रोपवे, 4 साल में होगा तैयार
राजधानी शिमला को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए 1734.70 करोड़ रुपये की लागत से 13.79 किलोमीटर लंबे अर्बन रोपवे नेटवर्क को अंतिम मंजूरी दे दी गई है। अगले चार वर्षों में पूरा होने वाले इस प्रोजेक्ट में 3 लाइनें और 13 स्टेशन होंगे, जो सचिवालय, अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड जैसे महत्वपूर्ण स्थानों को आपस में जोड़ेंगे।
धार्मिक पर्यटन को लगेंगे पंख, 3 बड़े मंदिरों से जुड़ेंगे रोपवे
प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तीन प्रमुख मंदिरों को रोपवे से जोड़ा जा रहा है। इनमें 65 करोड़ रुपये की लागत से बाबा बालकनाथ मंदिर, 278.62 करोड़ रुपये की लागत से बिजली महादेव और 76.50 करोड़ रुपये की लागत से माता चिंतपूर्णी मंदिर रोपवे परियोजनाएं शामिल हैं। ये सभी प्रोजेक्ट्स जून 2027 तक पूरे कर लिए जाएंगे।
परवाणु से शिमला: देश के लिए मील का पत्थर साबित होगा 38 KM लंबा रोपवे
सड़कों पर वाहनों का बोझ कम करने के लिए सरकार ने परवाणु से शिमला तक 38 किलोमीटर लंबे रोपवे की योजना बनाई है। लगभग 5602 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली यह विशाल परियोजना पब्लिक-प्राइवेट मोड पर पूरी की जाएगी। यह प्रोजेक्ट पूरे देश में वैकल्पिक परिवहन के रूप में रोपवे को स्थापित करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।
उप-मुख्यमंत्री ने बताया कि बगलामुखी रोपवे, जो देश का पहला ग्रामीण कनेक्टिविटी रोपवे है, पहले से ही सफल साबित हो चुका है। दिसंबर 2024 में शुरू हुए इस रोपवे से अब तक 69 हजार यात्री लाभ उठा चुके हैं और यह आपदा के समय एक जीवन रेखा बना। इसके अतिरिक्त, कुल्लू में 80 करोड़ की लागत से ढालपुर-पीज रोपवे का निर्माण भी तेजी से चल रहा है।
मुकेश अग्निहोत्री ने विश्वास जताया कि इन परियोजनाओं के पूरा होने से हिमाचल में यातायात सुगम होगा, प्रदूषण घटेगा और रोजगार के हजारों नए अवसर पैदा होंगे, जिससे प्रदेश की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी।