शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य और सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध खनन पर नकेल कसते हुए पिछले दो वर्षों में 23,429 मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों में दोषियों से ₹15,00,54,462 का जुर्माना वसूला गया है। यह जानकारी उद्योग मंत्री ने विधानसभा में इन्दौरा के विधायक मलेन्द्र राजन और सुन्दरनगर के विधायक राकेश जम्वाल द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी।
उन्होंने बताया कि सरकार ने अवैध खनन की शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई के लिए शिमला जिला मुख्यालय में एक ऑनलाइन निगरानी सेल स्थापित किया है। इसके लिए जनता के लिए लैंडलाइन नंबर 0177-2990575 और व्हाट्सएप नंबर 089885-00249 जारी किए गए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष निगरानी दल गठित कर नियमित कार्रवाई की जा रही है। अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए 22 जनवरी 2025 को 80 खनन रक्षकों के पदों की अधिसूचना जारी की गई है। जिलों में इनकी नियुक्ति के बाद सीमावर्ती इलाकों में निगरानी और मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कांगड़ा, सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों के नदी तल क्षेत्रों में अवैध खनन और खनिजों की तस्करी रोकने के लिए खुले में बिक्री के नए खनन पट्टों पर रोक लगा दी गई है। पिछले दो वर्षों में इन इलाकों में कोई नया पट्टा स्वीकृत नहीं किया गया है।
सरकार ने वैज्ञानिक खनन, पर्यावरण सुरक्षा और खनिज संपदा के संरक्षण के लिए खनिज नीति 2024 अधिसूचित की है। नीति के तहत यदि अवैध खनन से सरकारी संपत्तियों को नुकसान होता है, तो संबंधित विभाग दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगा।
उन्होंने बताया सरकार ने रात 8 बजे से सुबह 5 बजे तक खनन गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। इस दौरान किसी भी प्रकार की मशीनरी या वाहन खनन क्षेत्र में खड़ा नहीं किया जा सकता। हालांकि, स्टोन क्रेशर से तैयार माल की ढुलाई इस प्रतिबंध से बाहर है।
अवैध खनन रोकने के लिए पुलिस, वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों को दोषियों पर मुकदमा दर्ज करने, मशीनों और वाहनों को जब्त करने की शक्ति दी गई है। जिला स्तर पर उपायुक्तों की अध्यक्षता में नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित हो रही हैं।