नाहन : कल शाम गोगा नवमी के पावन अवसर पर ऐतिहासिक नाहन शहर में “छड़ियों का मेला” सैकड़ों वर्षों की परंपरा के अनुसार आयोजित हुआ। इस अवसर पर नाहन गोगा माड़ी की गद्दी के सेवादार भावन शर्मा द्वारा यह परंपरा निभाई गई। आपको बता दें कि हर वर्ष गोगा नवमी के दिन शहर के छोटा चौक से गोगा माड़ी के लिए गोगाजी की पवित्र छड़ी को लाया जाता है।
गोगा माड़ी का इतिहास
सिरमौर रियासत में जब राजा शमशेर प्रकाश का राज था उस वक़्त राजा को गोगाजी ने स्वप्न में दर्शन देकर अपना स्थान बनाने का आदेश दिया जिसको पूरा करते हुए राजा शमशेर प्रकाश ने गोगाजी की माड़ी नाहन के रामकुंडी में बनवाई। मगर ऐसा बताया जाता है कि गोगाजी को वह स्थान स्वीकार नहीं हुआ इसलिए पुनः राजा शमशेर प्रकाश ने गोगाजी की माड़ी हरिपुर में बनवाई जहाँ आज भी गोगा जी की माड़ी सुशोभित है। आपको बता दें कि गोगा जी के मंदिर को ही माड़ी कहा जाता है।

वर्ष 1990 में गोगाजी ने नाहन के सुखदेव शर्मा को स्वप्न में दर्शन देकर गोगा माड़ी का पुनर्निर्माण करने का आदेश दिया। आपको बता दें कि स्वर्गीय पूर्व मंत्री श्यामा शर्मा के भाई सुखदेव शर्मा ने वर्ष 1992 में गोगाजी की माड़ी का पुनर्निर्माण करवाया व गोगाजी के मुख्य धाम गोगामेड़ी (बागड़) राजस्थान से उनको नाहन का गद्दी भगत घोषित किया गया। वर्तमान में गोगा माड़ी की गद्दी को सुखदेव शर्मा के पोते भावन शर्मा बतौर सेवादार संभाल रहे हैं। आठ वर्ष की छोटी उम्र में ही भावन शर्मा को गोगा माड़ी का सेवादार बनाया गया। नाहन में स्थित गोगा माड़ी की मान्यता बहूत दूर दूर तक है। ऐसा बताया जाता है कि हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों से लोग नाहन गोगा माड़ी में दर्शन हेतु आते हैं।
परंपरा के अनुसार गोगा माड़ी के जोगी पुजारियों द्वारा सावन माह की संक्रांति को गोगाजी की पवित्र छड़ी को कालीस्थान मंदिर ले जाया जाता है जहाँ मंदिर के महन्त जी द्वारा छड़ी की पूजा की जाती है तत्पश्चात गोगा जी की छड़ी लगभग एक महीना घर-घर दर्शन व पूजा हेतु लायी जाती है। रक्षा बंधन के दिन गोगा जी की छड़ी एक दिन के लिए नाहन के बड़ा चौक में स्थापित होती है व अगले ही दिन छोटा चौक ले जाई जाती है जहाँ गोगा नवमी तक गोगा जी की छड़ी स्थापित रहती है। गोगा नवमी के दिन नाहन गोगा माड़ी की गद्दी पर विराजमान भगत द्वारा गोगा जी की छड़ी को गोगा माड़ी लाया जाता है तत्पश्चात मेले का भी शुभारंभ माना जाता है। मान्यतानुसार गोगाजी की पवित्र छड़ी पर धागा अथवा चुनरी बांधकर रक्षा की कामना की जाती है। गोगाजी को सांपों व नाकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाले देवता के रूप में भी माना जाता है।