शिमला: हिमाचल प्रदेश महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय प्रायोजित कार्यक्रम के अंतर्गत नई समेकित बाल संरक्षण योजना कार्यान्वित करने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा। यह योजना सभी राज्यों में लागू की जानी प्रस्तावित है और अब तक 18 राज्यों ने इसे लागू करने के लिए केन्द्र सरकार के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्रीमती सरवीन चौधरी ने आज यहां यह जानकारी देते हुए कहा कि योजना का मुख्य उद्देश्य किशोर न्याय बालकों की देखरेख संरक्षण अधिनियम की धारा 62-(ए) के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार द्वारा राज्य तथा प्रत्येक जिला स्तर पर ऐसे बच्चों के लिए बाल संरक्षण इकाईयां स्थापित करना है जिन्हें विशेष देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता है। इन बच्चों के लिए गृहों की स्थापना की जाएगी तथा विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं से समन्वय करके, उन्हें पुनर्वासित करने का कार्य भी किया जाएगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि प्रदेश में समेकित बाल संरक्षण योजना को राज्य बाल संरक्षण सोसायटी द्वारा चलाया जाएगा, जिसके अध्यक्ष सचिव, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता होंगे। निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, आयुक्त बाल संरक्षण का कार्य करेंगे, जिनके अधीन राज्य स्तर पर योजना के संचालन के लिए स्टेट प्रोजेक्ट सपोर्ट यूनिट तथा स्टेट अडॉप्शन एजेंसी का गठन किया जाएगा। प्रत्येक जिला स्तर पर बाल संरक्षण सोसायटी गठित की जाएगी, जो इस योजना को लागू करेगी। यह सोसायटी जिले में उपायुक्त की देखरेख में कार्य करेगी, जिन्हेें बाल संरक्षण अधिकारी सहयोग करेंगे।

उन्होंने कहा कि ज़िला स्तर पर गैर संस्थागत सेवाएं जैसे चाइल्डलाइन, चाइल्ड टैªकिंग सिस्टम, ‘फोस्टर केयर’ स्थापित किए जाएंगे, जबकि संस्थागत सेवाओं के अंतर्गत संप्रेषण गृह, विशेष गृह, बाल गृह, आश्रय गृह स्थापित होंगे। इसके अतिरिक्त जिला स्तर पर वैधानिक सेवाओं के तहत किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समिति, विशेष किशोर पुलिस इकाई तथा विशेष दत्तक ग्रहण अधिकरण स्थापित किए जाएंगे। ब्लॉक तथा ग्राम स्तर पर भी बाल संरक्षण समितियां गठित की जाएंगी, जिसकी अध्यक्षता संबंधित ब्लॉक समिति के अध्यक्ष एवं प्रधान ग्राम पंचायत करेंगे।

श्रीमती चौधरी ने कहा कि योजना के अंतर्गत अधोसंरचना निर्माण के लिए भारत सरकार शत-प्रतिशत धनराशि उपलब्ध करवाएगी, जबकि अन्य घटकों के लिए केन्द्र व राज्य का हिस्सा 75:25 के अनुपात में होगा। योजना के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार अपने हिस्से की राशि राज्य सरकार को अनुदान के रूप मे जारी करेगी तथा राज्य सरकार राज्य बाल संरक्षण सोसायटी को कार्यान्वयन के लिए अनुदान देगी।

उन्होंने कहा कि किशोर न्याय बालकांे की देख-रेख एवं संरक्षण अधिनियम,2000 के तहत प्रदेश में 11 किशोर न्याय बोर्ड तथा 12 बाल कल्याण समितियां गठित की गई हैं। इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा 8 गृह संचालित किए जा रहे है, जिनमें एक सम्प्रेषण गृह एवं विशेष गृह, सात बाल गृह तथा विभागीय अनुदान से स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से 14 शैल्टर होम संचालित हैं। इस कार्यक्रम के संचालन के लिए 478.02 लाख के बजट का प्रावधान किया गया है।

मंत्री ने कहा कि इस योजना को प्रदेश में लागू करने के लिए प्रथम वर्ष में 1307.12 लाख रुपये और दूसरे वर्ष में 1105.25 लाख रुपये खर्च किए जाने प्रस्तावित हैं।

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