यमुनानगर:  यमुनानगर स्थित प्रसिद्घ धार्मिक कपाल मोचन मेला पूर्ण श्रद्धा, उल्लास और क्षेत्र की महिमा के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हो गया। इस बार मेला में लगभग 8 लाख से अधिक श्रद्घालुओं ने तीनों सरोवरों में स्नान किया और वहां पर स्थित सभी मंदिरों और गुरूद्वारों में पूजा अर्चना की। इस पवित्र धाम पर स्थित कपाल मोचन सरोवर, ऋण मोचन सरोवर व सूरज कुण्ड में विभिन्न प्रांतों से आए अलग-अलग धर्मो एवं जातियों के श्रद्घालुओं ने 20 नवम्बर की रात्रि को 12 बजे के उपरांत शुरू हुई कार्तिक मास की पूर्णिमा के अवसर पर मुख्य स्नान आरम्भ किया। मेले में आए विभिन्न धर्मो के श्रद्घालु तीनों सरोवरों में स्नान करने के लिए एक दूसरे का पल्लू पकड कर अपनी रक्षा पंक्ति बनाकर एक सरोवर से दूसरे सरोवर की ओर बढ़ रहे थे। यह दृश्य बडा ही मनोहारी था, क्योंकि प्रत्येक श्रद्घालु ने प्रत्येक सरोवर पर स्नान करने से पूर्व दीप जलाकर मन्नतें मांगी व पहले मांगी गई मन्नतों के पूर्ण होने पर पूजा-अर्चना की । मंदिरों, गुरूद्वारों और पवित्र सरोवरों के घाटों पर प्रशासन द्वारा लगाए गए बल्ब व लडियां काफी मनोहारी थी। श्रद्धा का आलम यह था कि लोग सर्दी के बीच भी तीनों सरोवरों में स्नान कर रहे थे। इस बार श्रद्धालुओं ने रात्रि के 6 बजे से 10 बजे तक तीनों सरोवरों के किनारों पर दीप दान किया और पूजा अर्चना की और यह सिलसिला 19 नवम्बर से 21 नवम्बर की मध्य रात्रि तक चलता रहा। लोगों की श्रद्धा देखते ही बनती थी क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी हैशियत के हिसाब से सरोवरों के किनारे पर दीप दान कर रहा था। दीप दान करने के बाद लोग वहीं पूजा अर्चना करते थे और इस समय तीनों सरोवरों के घाट मंदिर का रूप धारण कर लेते थे।

श्रद्घा, भक्ति और विश्वास का यहां अदभूत नजारा देखने को मिल रहा था, कुछ परिवार छोटे-छोटे बच्चों के साथ सर्दी में स्नान कर रहे थे। किसी के भी चेहरे पर मजबूरी या सर्दी के भाव देखने को नहीं मिल रहे थे क्योंकि श्रद्धालुओं में श्रद्धा का जज्बा इतना ज्यादा था कि उन्हें केवल यह सब पूजा की भांति लग रहा था। इनमें से बहुत से श्रद्धालु ऐसे भी थे जो किसी न किसी मन्नत के पूरा होने पर यहां आए थे क्योंकि कपाल मोचन का मेला इस बात के लिए भी प्रसिद्ध है कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है और मुराद पूरी होने पर श्रद्धालु को इन सरोवरो में स्नान अवश्य करना पड़ता है। इस बार के मेले में कई चीजें व परम्पराएं पुराने मेलों से काफी भिन्न थी। एक तरफ जहां प्रशासन द्वारा विस्तृत प्रबंध किए गए थे। मेला क्षेत्र में पांच सैक्टर बनाए गए थे, जिसमें से दो सैक्टर रिहायशी, दो सैक्टर बाजार तथा एक सैक्टर सरोवरों के आसपास बनाया गया था। अत: इतनी भारी भीड के बावजूद भी कहीं भी किसी तरह की असुविधा सामने नहीं आई। प्रत्येक श्रद्धालु ने सभी सरोवरों और सभी मंदिरों में भली प्रकार स्नान और पूर्ण विधिविधान से पूजा की ।

मेले में एक अन्य परिवर्तन जो इस बार नजर आ रहा था, वह यह कि इस बार श्रद्धालु अपने वाहनों से ज्यादा आए और श्रद्धालुओं में युवा पीढ़ी की संख्या भी काफी थी। इस मेले में पहले दिन आए श्रद्धालु मेले के अंतिम दिन तक रहे । उसके बाद पहली बार मेला में जींद, हिसार, रोहतक, करनाल, पानीपत, अम्बाला, हिमाचल व उत्तर प्रदेश के नजदीक लगते जिलों से भारी संख्या में श्रद्धालु आए और 20 नवम्बर की रात तक मेले में काफी भीड़ रही।

पांच दिनों तक मेला कपाल मोचन में जिला उपायुक्त अशोक सांगवन के दिशा निर्देशन में मेला प्रशासन द्वारा हर दृष्टि से व्यापक प्रबंध किए गए थे । 20 नवम्बर की रात्रि को जिला उपायुक्त अशोक सांगवान व पुलिस अधीक्षक संदीप खिरवार सहित समस्त जिला प्रशासन पूरी रात मेला क्षेत्र में स्थित प्रशासनिक खण्ड में मौजूद रहा । रात्रि के 12 बजे के बाद जब श्रद्घालुओं ने पवित्र सरोवरों में स्नान करना शुरू किया तो जिला उपायुक्त अशोक सांगवान ने मेला कार्यो के प्रबंधों के लिए नियुक्त किए गए अधिकारियों के साथ तीनों सरोवरों पर स्वयं जाकर प्रबंधों का निरीक्षण किया और सभी रास्तों व सरोवरों पर तैनात पुलिस कर्मचारियों और समाज सेवी संगठनों के सुरक्षा कार्यो में लगे स्वयं सेवकों को ओर अधिक सतर्क रहने के आदेश दिए, जिसकी बदौलत 3 दिनों से चल रहा राज्य स्तरीय मेला शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया । जिला उपायुक्त अशोक सांगवान ने मुख्य स्नान के समय श्रद्घालुओं को अपनी शुभकामनाएं दी कि वह जिस भावना एवं मनोकामना से इस पवित्र तीर्थ स्थल पर आएं है, उनकी वह मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो । उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से मेला में आए यात्रियों एवं श्रद्घालुओं को गुरू नानक देव जी के जन्म दिवस ”गुरू पर्व” की बधाई भी दी। जिला उपायुक्त ने श्रद्घालुओं को बधाई देते हुए कहा कि जिला प्रशासन को उनकी ओर से पूर्ण सहयोग मिला है। ऐतिहासिक कपाल मोचन मेले में विभिन्न प्रांतों से भिन्न-भिन्न धर्मो के लाखों श्रद्घालुओं को गुरू पर्व की बधाई देते हुए कामना की कि जिस मनोकामना को लेकर वह ऐतिहासिक स्थल पर आए हैं वह मनोकामना अवश्य ही पूर्ण हो और उनके जीवन में उन्नति की नवचेतना का संचार हो ।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version