तुम्हारा जाना
मेरे लिये
आम बात नही
मैं अनाथ सी हो गई हूं
क्योंकि तुम मेरी
जिन्दगी में सर्दी की धूप
गर्मी की ठंडक थे |
मेरे अन्दर उत्साह का धुंआ भरते
जो कभी कामयाबी की आग पकडता
लगता,
हर व्यक्ति को सहारा चाहिये
उत्साह चाहिये
क्योंकि तभी वो खुद उठकर
परिवार, समाज व राष्ट्र को
सुदृढ बना सकता है |

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version