हर लडकी का बचपन से ही एक सुनहरा ख्वाब होता है, कि एक दिन परीलोक से सोने के रथ पर सवार एक सुन्दर सा राजकुमार उसे ब्याह कर ससुराल ले जाएगा | वहां उसका अपना एक सुन्दर सा घर होगा | परन्तु जीवन की हकीकत किताबों-कहानियों से बिल्कुल जुदा होती है | आज के समय में लडकियां कितनी भी पढी लिखी क्यूं हो, ससुराल में जाकर नए लोगों के बीच रहने की सोच से ही एक अजीब सी घबराहट और डर हर लडकी के दिल में कहीं न कहीं अनजानी सी परेशानी पैदा कर देता है | यह भी कडवी सच्चाई है कि कोई मां-बाप आज तक अपनी बेटी को सदा के लिये अपने घर नहीं रख पाया | एक न एक दिन हर मां अपने जिगर के टुकडे को अपने हाथों से डोली में बिठा कर विदा कर देती है | ससुराल में रहना हर लडकी का एक नया जन्म होता है | उसकी किस्मत फिर से लिखी जाती है | ससुराल में लडकी के मन में क्या-क्या भावनाऐं उठती है, यह तो वो ही बता सकती है | ऐसी ही एक लडकी के विचार कुछ इस तरह से हैं |
मम्मी शादी से पहले जो घबराट और डर आपके मन में भी था, वो सच ही निकला | 22 से 23 साल तक अपने घर में आजादी से रहने के बाद एकदम नये-अनजान लोगों के बीच में आकर रहना सच में ही बहुत कठिन काम है | बार-बार बचपन से ससुराल के बारे में सुनी हुई बातें याद आ रही थी कि अगर काम ढग से नहीं करों तो सास चोटी पकड कर ससुराल निकाल देती है | मेरी हालत ऐसी हो गई, जैसे किसी ने मुझे नदी के मझदार में लाकर छोड दिया हो | शुरु के कुछ दिन तो रिश्तेदारों के आने जाने में और हनीमून के सैर-सपाटे में बीत गये | उसके बाद मैं अपने आपको अकेला और असहाय सा महसूस करने लगी | भगवान की कृपा से घर में सब कुछ होते हुए भी मेरा मन किसी न किसी उलझन में में फंसा रहता है | सुबह थोडी देर से उठने पर कोई कुछ बोले या नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि मेरे से बहुत बडी गलती हो गई है |
अब तक सभी ज्ञान और आपके द्वारा दिये गये सभी संस्कारों से कहीं कोई मदद की किरण दिखाई नहीं दे रही थी | मैंने हार मानने की बजाए आपके द्वारा दी गई सलाह को मन में रखतें हुए, ससुराल के तौर तरीकों को समझना और अपने मिजाज पर काबू रखना ही बेहतर समझा | जल्दबाजी करने की बजाए थोडा धैर्य और अपनी छोटी सी जुबान को काबू में रखने से मेरी बहुत सी मुश्किलें आसान हो गई | कुछ दिन पहले अपने जमाई राजा को बिजनेस के सिलसले में कुछ दिन के लिये टूर पर जाना पडा, उनकी गैरहाजिरी में, मैं सारी-सारी रात आने-जाने वाले समय के बारे में सोच के परेशान होती रही | पूरी रात नये घर और नये लोगों के साथ जिंदगी निभाने की उधेड-बुन में न जाने कब निकल गई | अगले दिन जब सुबह, सोकर उठी तो मन में नये आत्मविश्वास का आभात सा प्रतीत हुआ | कल तक जो परेशानी हर समय एक साये की तरह मेरे साथ जुडी हुई थी, आज वो एक आत्मविश्वास में बदल चुकी थी |
घर में अकेले होने की वजह से मैंने सुबह जल्दी उठना शुरु कर दिया | सुबह जल्दी उठी तो सासू मां के साथ रसोई बनाने का काम भी अच्छा लगने लगा | एक-दो दिन मैंने पूरे परिवार के साथ सासू जी को भी बढिया सा नाश्ता बना कर खिलाया | कुछ कमियों के बावजूद भी घर के सब सदस्यों ने मेरे बनाये हुऐ खाने की चर्चा होने लगी | दिन में सासू मां के साथ उनके पसन्द के टी.वी. प्रोग्राम भी देखने का काफी समय मिलने लगा | इसी बीच कुछ रिश्तेदारों और सासू मां की कुछ सहलियों की सेवा करने का अवसर मिला | जिसका मैने भरपूर फायदा उठाया | सासू जी की सहेलियों आंखो ही आंखों में अपनी तारीफ मुझे भी समझ आने लगी थी |
एक दिन घर के कुछ काम से बाजार जाना पडा, तो वहां से मैं अपनी सासू मां के लिये कुछ खाने-पीने का सामान के साथ एक बढिया सी मेकप किट भी ले आई | मेरी इस छोटी सी चेष्टा ने मुझे पूरे परिवार के बहुत ही करीब ला दिया | पहले वाला अनजाना सा डर अब बीते समय की बात बन चुका था | अब सासू मां बाजार या किटी पार्टी में जाते समय मुझे साथ ले जाना भी नहीं भूलती | अब उनके चेहरे से हर समय प्यार झलकने लगा था | मुझे पता नही लगा कि कब हमारा सास-बहू का रिश्ता एक दोस्ती में बदल गया | बल्कि सच कहूं तो अब सासू मां मुझे अपनी झलक दिखने लगी है |
अब हम सारा परिवार जब भी इकठ्ठे मिल बैठते हैं तो पूरे घर में हंसी के ठहाके गूंजते हैं | आखिर में, मैं अपने दिल की सच्ची बात कहाना चाहूँगी, और वो सच्चाई यह है कि अब तो आप लोगों की याद भी बहुत कम आती है | मैं भगवान से सदैव एक ही प्रार्थना करती हूँ कि मुझे हर जन्म में ऐसी ही सास और ससुराल मिले | पिछले कुछ बरसों में दिये गये अच्छे गुणों एवं संस्कारों के कारण मुझे पता ही नहीं चला, कि कब मैं ससुराल वालों के रंग में रंग गई, और कब मैने सास को पटा लिया | जौली अंकल भी अक्सर यहीं कहते है कि नंम्र होकर चलना, मधुर बोलना और बांटकर खाने से न सिर्फ हमारा परिवारिक जीवन शांतमई बन जाता है बल्कि यह तीन गुण आदमी को ईश्वरीय पद तक पहुंचाते है |