शतरंज की गोटीयाँ

आजकल शहर के हर चौराहे, गली कूचो की दीवारो, पर राजनीतिक पार्टीयों के संदेश तरह-तरह के रंगीन पोस्टर एवं झंडे आदि दिखाई देने लगे है | समाचार पत्रों और टी.वी. में सुबह-शाम मंत्रीयो के लच्छेदार भाषण सुनने को मिल रहे है | नेताओ ने एक दूसरे पर इल्जाम लगाने की झडी शुरु कर दी है | जिस तरह पुराने समय में युद्ध की तैयारी से पहले सभी सिपाही अपने-अपने हथियारो को मांज कर तैयार करते थे ठीक उसी प्रकार आज के नेता लोग नये-नये खादी के सफेद कुरतें-पायजमों के साथ अपनी जुबान को चीनी की मिठास में घोल कर वोटरो को रिझाने में लगे है | क्योंकि सभी नेता जानते हैं कि अब छुटभैये नेताओ, की कुर्सी-टैन्ट वाले, हलवाई से लेकर एक आम आदमी की न जाने किस सभा में कहां जरुरत आन पडे | हर छोटे से छोटे वोटर से भी रिश्ते बनाने में लगे है | हमारे प्रिय नेता लोग अच्छी तरह से जानते है कि अब समय आ गया है कि हर वोटर को किस तरह शतरंज की गोटीयों की तरह अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना है |

हमारे देश की राजनीति की अनेक विशेषताए है | दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र होने के बावजूद हमारे देश में चुनाव एक हंसी मजाक का मुद्दा बन कर रह गये है ! जिस किसी शरीफ आदमी के पास अच्छे गुण और देश को संभालने की समर्था है, वो इस क्षेत्र में आने की हिम्मत नहीं जुटा पाता | पैसे और ताकत के जोर से देश के जाने-माने अपराधी भी मंत्री पद पर आसानी से पंहुच जाते है | कुछ लोग तो बिना चुनाव लडे ही प्रधानमंत्री की गद्दी पर आसीन हो जाते है | ऐसा आदमी जो जनता के सामने चुनाव लडने की हिम्मत न रखता हो वो जनसाधारण के हित की बात कैसे सोच सकता है ? ऐसा प्रधानमंत्री तो सिर्फ उन्ही का गुणगान करेगें जिन लोगो ने उसे कठपुतली बना कर देश की सबसे बडी जिम्मेदारी सोंप दी है |

चुनावों से कुछ अरसा पहले हर प्रदेश की राजनीतिक पार्टीयों से जरुर यह सुनने को मिलता है कि केवल योग्य प्रत्याशियों को ही चुनावा का टिकट दिया जायेगा | लेकिन हकीकत जनता से छुपी नहीं है | पैसे की चमक के आगे सभी योग्ताए धरी की धरी रह जाती है | कुछ प्रत्याशियों के लिये योग्यता का पैमाना सिर्फ पार्टी के बडे नेताओ की सेवा या यूं कहिये की चम्चागिरी तक ही सीमित होती है | जनता को उनसे क्या अपेक्षाऐ है, इससे उन लोगो को कोई सरोकार नहीं होता | कुछ खास किस्म के नेता हर हाल में सत्ता की बागढोर को अतने हाथो में रखने के लिए कुछ भी परहेज नहीं करते | हर छुटभौया अपने आप को किसी बडे नेता से कम नही समझता | अपने मुंह से वो चाहे हर किसी के लिए आग ही उहले, लेकिन दूसरो के मुख से उसे हर समय सिर्फ अपनी तारीफ सुनना भाता है |

आज एक अनपढ रिक्शा चलाने वाला भी यह समझता है,कि नेता लोग सिर्फ चुनावो के मौसम में ही अनेक लुभावने वादे और हसीन ख्वाब दिखा कर गुमराह करते है | सब कुछ जानते हुए भी इन कलाकारो से बढ कर अपने नेताओ का तमाशा देखने को मजबूर है | हालिंक देश की जनता तो नेताओ के लिये योग्यता का पैमाना तय कर के राजनीति के अध्याय में एक नई शुरुआत कर सकती है | लेकिन चुनावों के प्रति हमारी उदासहीनता के कारण, नेता हमारी कमजोरीयों क भरपूर फायदा उठाते है |

अगर अब भी देश का वोटर नही जागा तो हमारे देश के स्वार्थी नेता पूरे देश के वोटरो को सदा के लिये अपनी इच्छा के मुताबिक केवल अपने फायदे के लिये शतरंज की गोटीयों की तरह ही इस्तेमाल करत रहगे | अंत में जौलीआ अंकल आप सब को इतना ही कहना चाहते है कि इस बार अपना कीमती वोट देने से पहले अपने प्रिय नेताओ से पिछले पाँच साल का पूरा-पूरा हिसाब किताब जरुर मांगे |

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