सोलन : ज़िला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त सोलन मनमोहन शर्मा ने कहा कि लोकसभा निर्वाचन-2024 के दृष्टिगत स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण ढंग से मतदान प्रक्रिया सम्पन्न करवाने के लिए ज़िला में सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न मीडिया माध्यमों से दुष्प्रचार व मीडिया प्लेटफॉर्म का दुरूपयोग रोकने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
मनमोहन शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और तथ्यहीन व गलत सूचनाएं फैलाने पर नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की श्रेणी में आता है और इस पर प्रसारित सामग्री पर ज़िला स्तर पर गठित मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति द्वारा चौबीसों घण्टे कड़ी नज़र रखी जा रही है। यदि सोशल मीडिया पर आदर्श आचार संहिता की उल्लंघना से सम्बन्धित कोई सामग्री पाई जाती है तो इससे प्रसारित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
उपायुक्त ने कहा कि विशेषतौर पर सोशल मीडिया के माध्यम से हेट स्पीच के मामलों पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि आई.पी.सी. की धारा 295ए के तहत धार्मिक भावनाओं को भड़काने अथवा किसी धर्म या सम्प्रदाय का अपमान करने पर दण्ड का प्रावधान है। आई.पी.सी. की धारा 153ए के तहत विभिन्न समुदायों में धर्म, जाति, जन्म स्थान, आवास, भाषा इत्यादि के आधार पर विद्वेष व वैमनस्य पैदा करने तथा आपसी सौहार्द बिगाड़ने पर दंड का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त आई.पी.सी. की धारा 298 व 505 के तहत भी भड़काऊ वक्तव्यों के माध्यम से लोगों में डर अथवा भय पैदा करने व धार्मिक भावनाएं भड़काने इत्यादि पर दंड का प्रावधान किया गया है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66ए के तहत ऑनलाईन वक्तव्य तथा संचार सेवाओं के माध्यम से भ्रामक व आपत्तिजनक संदेश विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।
मनमोहन शर्मा ने सभी लोगों से आग्रह किया है कि वे इस तरह की भ्रामक सामग्री अपने सोशल मीडिया अकाउंट से प्रसारित या प्रचारित न करें। यदि इस तरह का कोई मामला सामने आता है तो ज़िला स्तर पर गठित समिति इसे आगामी कार्रवाई के लिए निर्वाचन आयोग को प्रेषित करेगी। उन्होंने कहा कि प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए स्वैच्छिक आचार संहिता (वॉलेंटरी कोड ऑफ एथिक्स) भी अपनाई है ताकि स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया की भावना को बनाया रखा जा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कोई भी राजनीतिक विज्ञापन इत्यादि जारी करने से पहले मीडिया प्रमाणन एवं अनुश्रवण समिति से इसका पूर्व प्रमाणन आवश्यक है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन कर लिया गया है। ऐसे विज्ञापनों में पारदर्शिता के दृष्टिगत इन पर लेवल इत्यादि लगाकर इसकी जानकारी भी दर्शानी होगी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल अथवा उम्मीदवार के ब्लॉग, वेबसाइट व व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किए गए संदेश, कमेंट, फोटो, वीडियो इत्यादि को विज्ञापन की श्रेणी से बाहर रखा गया है। हालांकि इनमें आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।