नाहन : हरिपुरधार के महल क्षेत्र के गांव टिकरी की लोक आस्था और परंपराओं का प्रतीक मां कुज्याट का भव्य जागरण इस वर्ष भी पूरे विधि-विधान और उत्साह के साथ संपन्न हुआ। टिकरी गांव, जहाँ मुख्य रूप से राणा परिवार के लोग निवास करते हैं, हर तीन वर्ष बाद होने वाले इस पारंपरिक जागरण को अपनी आस्था और परंपरा के अनुसार शुद्ध मन से आयोजित करते हैं। स्थानीय लोग मां कुज्याट को मां काली का अवतार मानते हैं और श्रद्धा से इन्हें गुड़याली माता के नाम से पुकारते हैं।
जागरण में पूरे महल क्षेत्र के लोगों हिस्सा लिया और पूरे महल क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए माता से आशीर्वाद मांगा। महिलाओं ने पारंपरिक गीतों पर नृत्य किया, पुरुषों ने माता के जयकारों से वातावरण को भक्तिमय बनाया, और पूरी रात भजनों की गूंज से गांव में दिव्य माहौल बना रहा।

माना जाता है कि गांव की सुख-समृद्धि और रक्षा के लिए मां कुज्याट का वार्षिक आशीष अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी आस्था के चलते गांव के लोग पूरे मन और श्रद्धा से जागरण का आयोजन करते हैं, ताकि महल क्षेत्र में सदैव खुशहाली बनी रहे।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जब भी किसी व्यक्ति या परिवार पर संकट या विपत्ति आती है, मां कुज्याट उनकी रक्षा कर सुरक्षा का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। कई भक्त अपने अनुभव बताते हुए कहते हैं कि कठिन परिस्थितियों में माता ने हमेशा उनकी राह दिखाई और उन्हें सुरक्षित रखा।
इसी गहरी आस्था के कारण गांव के लोग माता की पूजा को अपनी परंपरा, संस्कृति और जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।
इसी गहरी आस्था के कारण गांव के लोग माता की पूजा को अपनी परंपरा, संस्कृति और जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं। महल क्षेत्र की धार्मिक पहचान तीन प्रमुख देवियों—मां कुज्याट (गुड़याली माता), मां विजाई और मां भंगयाणी—से गहराई से जुड़ी हुई है। इन तीनों देवियों को क्षेत्र की शक्ति त्रयी माना जाता है और माना जाता है कि इनका आशीर्वाद पूरे महल क्षेत्र पर सुरक्षा, समृद्धि और सद्भाव की छत्रछाया बनाए रखता है।
इन तीनों देवियों के प्रति यहां के लोगों की गहरी आस्था है। मान्यता है कि इन देवियों का आशीर्वाद सम्पूर्ण महल क्षेत्र पर सुरक्षात्मक छत्र की तरह रहता है। चाहे प्राकृतिक विपत्ति हो, बीमारी हो या सामाजिक संकट—भक्त यह विश्वास रखते हैं कि देवियों की कृपा से सब कुछ शुभ होता है।
लोककथाओं और परंपराओं के अनुसार, मां कुज्याट का आशीर्वाद महल क्षेत्र पर सदैव बना रहता है। यही कारण है कि हर तीन वर्ष बाद होने वाला यह जागरण सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, सांस्कृतिक परंपरा और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम बन जाता है।
जागरण के समापन पर भक्तों ने माता से सुख-शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और समस्त क्षेत्र की उन्नति का वरदान मांगा। आयोजन की सफलता में पूरे गांव के लोगों और श्रद्धालुओं ने अहम भूमिका निभाई।