हरियाणा: नंबर वन हरियाणा में मतृक को भी पैंशन मिलती है, जिसका उदाहरण भिवानी में देखा जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा वृद्धा पैंशन शुरू की गई है। पूनम सांगवान ऐडवोकेट द्वारा मांगी गई आर टी आई से कई मृतकों द्वारा पैंशन लेने का मामला सामने आया है। पूनम ऐडवोकेट के अनुसार वृद्धा पैंशन मृतक के परिजनों की जेब में न जाकर नगर परिषद का तंत्र हजम कर रहा है और अब तक लाखों रूपए का सरकार को चुना लगाया जा चुका है। वार्ड न: 15 निवासी शीला पत्नी हाकिम की मृत्यु 25 अप्रैल को हो चुकी थी, जिसका पैंशन कोड 10437 है। इसी वार्ड के हरकेश पुत्र भाई राम का 19 अप्रैल 2010, कमला पत्नी सोहन, रूकमणी पत्नी मोहर सिंह का 19 सितंबर 2007 को, सुरजी पत्नी उधमी का 11 जून 2006(पैंशन कोड 2965), धर्म पत्नी रिछपाल का 26 जनवरी 2009, चंपा देवी पत्नी ममराज(पैंशन कोड 6719) का 12 दिसंबर 2008, रामचंद्र पुत्र तारा चंद(पैंशन कोड 3024) का 21 मई 2007, लक्ष्मी पत्नी मनु सिंह(पैंशन कोड 9749) का 11 नवंबर 2009 को निधन हो चुका है, मगर उनकी मृत्यु उपरांत भी सरकारी खजाने से पैंशन निकाल भुगतान किया गया है। एक अन्य मामलें में प्रहलाद सिंह की शिकायत है कि उसकी मृत्यु के निधन को पांच वर्ष बीत गए है और उसके परिवार ने वृद्धा पैंशन नहीं ही है, मगर सरकारी कोष से पैंशन निकालकर भुगतान किया गया है। इसी प्रकार एक अन्य महिला चंद्रों की सास की मृत्यु दो वर्ष पूर्व हो चुकी है, मगर उसके नाम की पैंशन आज भी जारी है, जिसे परिषद का भ्रष्ट तंत्र हड़प रहा है।

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