शिमला: मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में कार्यान्वित की जा रही सड़क परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए संबंधित विभागों में समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया है। मुख्यमंत्री गत सांय सड़क परियोजनाओं की प्रथम समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने परियोजनाओं के एन.पी.वी. (नेट प्रेज़ेट वैल्यू) को सड़क परियोजना के हिस्से के रूप में शामिल करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है, जिससे राज्य में चल रही सड़क परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभागों को आपसी सहयोग से इन सड़क परियोजनाओं का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाना चाहिए।
प्रो. धूमल ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाओं एवं आर.आई.डी.एफ. परियोजनाओं के अन्तर्गत वित्तपोषित सड़क परियोजनाओं को वन विभाग ने समय पर केंद्र से स्वीकृत करवाने में मदद करने का विश्वास दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत 83 मामले वन स्वीकृति के लिए लंबित पड़े हैं तथा 9 मामले राष्ट्रीय उच्च मार्गों से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग को परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए भेजे गए मामलों पर विभाग द्वारा लगाई गई आपतियों के उत्तर कार्यकारी अभियन्ताओं को शीघ्र देने चाहिए तथा समय पर परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित बनाने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गत वर्ष शिमला में आयोजित की गई बैठक में सभी स्वीकृतियों के लिए एक माह की समयावधि निर्धारित की गई थी, जिससे सम्बन्धित अधिकारियों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्बन्धित उपायुक्तों को रजिस्ट्री प्रक्रिया को 15 दिनों के भीतर पूरा करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
प्रो. धूमल ने कहा कि लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए सड़क परियोजनाओं के कार्य शुरू होने से पूर्व ही बिजली के खम्भों पेयजल व सिंचाई योजनाओं व पाइपों इत्यादि को बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ग्रेविटी जलापूर्ति को सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता है ताकि आपूर्ति लाइनों का रख-रखाव आम जन के लिए सुनिश्चित हो सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड अधिकारियों को बिजली के खम्भों को उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति बाधित किए बगैर सुरक्षित स्थानों पर परिवर्तित करने की आवश्यकता हैं । उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने के लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से अपील की कि सड़क परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए अपनी भूमि को दान दें ताकि ज्यादा से ज्यादा गांवों को सड़कों से जोड़ा जा सके।
इससे पूर्व, राज्य स्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण की 44वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि सभी नये औद्योगिक प्रस्तावों को प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व प्रारम्भिक स्तर पर ही गहनता से जांच किए जाने की आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए कि यह सभी परियोजनाएं प्रदेश तथा प्रदेश के लोगों के व्यापक हित में हों। उन्होंने कहा कि उद्यमियों की भावनाओं को भी समझने की आवश्यकता है, जिसे उनके द्वारा प्रदेश में औद्योगिक इकाई स्थापित करने की गंभीरता को सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति में स्थापित शर्तों को सख्ती से अपनाने की आवश्यकता है, विशेषकर स्थानीय शिक्षित युवाओं को 70 प्रतिशत रोजगार प्रदान करने की शर्त पर अमल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के दिहाड़ीदारों के समान ही सभी औद्योगिक श्रमिकों को भी लाया है। उन्होंने अधिकारियों से फैक्ट्री मालिकों द्वारा औद्योगिक श्रमिकों को स्वीकृत न्यूनतम दिहाड़ी दिए जाने को सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर श्रमिकों के शोषण को बर्दाशत नहीं किया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि निजी भवनों को भी औद्योगिक उद्देश्य के लिए किराये पर दिया जा सकता है।
लोक निर्माण मंत्री श्री गुलाब सिंह ठाकुर, वन मंत्री श्री जे.पी. नड्डा, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि, उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर ने भी सम्बन्धित विभागों के विचार विमर्श में भाग लिया।
मुख्य सचिव श्रीमती आशा स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अवय शुक्ला, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुश्री हरिन्द्र हीरा, प्रधान सचिव गृह एवं अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड श्री सुभाष नेगी, प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग डा. पी.सी. कपूर, मुख्य मंत्री के प्रधान सचिव श्री भीम सेन, प्रधान सचिव ऊर्जा श्री दीपक सानन, प्रधान सचिव वित्त श्री अजय त्यागी, प्रधान सचिव पर्यटन श्रीमती मनीषा नंदा, निदेशक उद्योग श्री मनोज कुमार, प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल श्री विनय टंडन, निदेशक प्रदूषण नियंत्रण विभाग डा. नगीन नंदा, इंजीनियर-इन-चीफ लोक निर्माण विभाग श्री अरूण महाजन, इंजीनियर-इन-चीफ सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्री आर.के. शर्मा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

शिमला: मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने हिमाचल के विभिन्न हिस्सों में कार्यान्वित की जा रही सड़क परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए संबंधित विभागों में समन्वित प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया है। मुख्यमंत्री गत सांय सड़क परियोजनाओं की प्रथम समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।मुख्यमंत्री ने कहा कि नाबार्ड ने परियोजनाओं के एन.पी.वी. (नेट प्रेज़ेट वैल्यू) को सड़क परियोजना के हिस्से के रूप में शामिल करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है, जिससे राज्य में चल रही सड़क परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित विभागों को आपसी सहयोग से इन सड़क परियोजनाओं का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाना चाहिए। प्रो. धूमल ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजनाओं एवं आर.आई.डी.एफ. परियोजनाओं के अन्तर्गत वित्तपोषित सड़क परियोजनाओं को वन विभाग ने समय पर केंद्र से स्वीकृत करवाने में मदद करने का विश्वास दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत 83 मामले वन स्वीकृति के लिए लंबित पड़े हैं तथा 9 मामले राष्ट्रीय उच्च मार्गों से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग को परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए भेजे गए मामलों पर विभाग द्वारा लगाई गई आपतियों के उत्तर कार्यकारी अभियन्ताओं को शीघ्र देने चाहिए तथा समय पर परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित बनाने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गत वर्ष शिमला में आयोजित की गई बैठक में सभी स्वीकृतियों के लिए एक माह की समयावधि निर्धारित की गई थी, जिससे सम्बन्धित अधिकारियों को अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सम्बन्धित उपायुक्तों को रजिस्ट्री प्रक्रिया को 15 दिनों के भीतर पूरा करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रो. धूमल ने कहा कि लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसके लिए सड़क परियोजनाओं के कार्य शुरू होने से पूर्व ही बिजली के खम्भों पेयजल व सिंचाई योजनाओं व पाइपों इत्यादि को बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ग्रेविटी जलापूर्ति को सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता है ताकि आपूर्ति लाइनों का रख-रखाव आम जन के लिए सुनिश्चित हो सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड अधिकारियों को बिजली के खम्भों को उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति बाधित किए बगैर सुरक्षित स्थानों पर परिवर्तित करने की आवश्यकता हैं । उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करने के लिए सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों से अपील की कि सड़क परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए अपनी भूमि को दान दें ताकि ज्यादा से ज्यादा गांवों को सड़कों से जोड़ा जा सके।इससे पूर्व, राज्य स्तरीय एकल खिड़की स्वीकृति एवं अनुश्रवण प्राधिकरण की 44वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि सभी नये औद्योगिक प्रस्तावों को प्राधिकरण के समक्ष प्रस्तुत करने से पूर्व प्रारम्भिक स्तर पर ही गहनता से जांच किए जाने की आवश्यकता है ।

उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित बनाया जाना चाहिए कि यह सभी परियोजनाएं प्रदेश तथा प्रदेश के लोगों के व्यापक हित में हों। उन्होंने कहा कि उद्यमियों की भावनाओं को भी समझने की आवश्यकता है, जिसे उनके द्वारा प्रदेश में औद्योगिक इकाई स्थापित करने की गंभीरता को सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि नई औद्योगिक नीति में स्थापित शर्तों को सख्ती से अपनाने की आवश्यकता है, विशेषकर स्थानीय शिक्षित युवाओं को 70 प्रतिशत रोजगार प्रदान करने की शर्त पर अमल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के दिहाड़ीदारों के समान ही सभी औद्योगिक श्रमिकों को भी लाया है। उन्होंने अधिकारियों से फैक्ट्री मालिकों द्वारा औद्योगिक श्रमिकों को स्वीकृत न्यूनतम दिहाड़ी दिए जाने को सुनिश्चित बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर श्रमिकों के शोषण को बर्दाशत नहीं किया जाएगा। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि निजी भवनों को भी औद्योगिक उद्देश्य के लिए किराये पर दिया जा सकता है।लोक निर्माण मंत्री श्री गुलाब सिंह ठाकुर, वन मंत्री श्री जे.पी. नड्डा, सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि, उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर ने भी सम्बन्धित विभागों के विचार विमर्श में भाग लिया। मुख्य सचिव श्रीमती आशा स्वरूप, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अवय शुक्ला, अतिरिक्त मुख्य सचिव सुश्री हरिन्द्र हीरा, प्रधान सचिव गृह एवं अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड श्री सुभाष नेगी, प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग डा. पी.सी. कपूर, मुख्य मंत्री के प्रधान सचिव श्री भीम सेन, प्रधान सचिव ऊर्जा श्री दीपक सानन, प्रधान सचिव वित्त श्री अजय त्यागी, प्रधान सचिव पर्यटन श्रीमती मनीषा नंदा, निदेशक उद्योग श्री मनोज कुमार, प्रधान मुख्य वन अरण्यपाल श्री विनय टंडन, निदेशक प्रदूषण नियंत्रण विभाग डा. नगीन नंदा, इंजीनियर-इन-चीफ लोक निर्माण विभाग श्री अरूण महाजन, इंजीनियर-इन-चीफ सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य श्री आर.के. शर्मा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।

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