3 फीट कद लेकिन हौसला आसमान से ऊंचा, नाहन के विवेक कुमार एक मिसाल

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नाहन : 3 फीट कद के विवेक कुमार अपनी मेहनत और जज़्बे से समाज में एक मिसाल बनकर उभरे हैं। विवेक, नाहन के बड़ा चौक में मिट्टी के सामान बेचते हैं, जिससे वह आत्मनिर्भर होकर अपने जीवन यापन कर रहे हैं। उनकी इस प्रेरणादायक कहानी में कद की कमी कभी उनके आत्मविश्वास या मेहनत की राह में बाधा नहीं बनी।

3 फीट कद वाले विवेक कुमार न केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि अपने साहस और मेहनत से आत्मनिर्भर होकर एक प्रेरणादायक जीवन बिता रहे हैं। उनकी जिंदगी में कई मुश्किलें रही हैं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। विवेक का एक पैर बचपन से उल्टा है और उनके बाएं हाथ का अंगूठा भी उल्टा है। इसके बावजूद, उन्होंने अपने हौसले और मेहनत से वह कर दिखाया, जिसे कई लोग असंभव समझते हैं।

विवेक ने अपनी शुरुआती शिक्षा नाहन के बॉयज स्कूल से प्राप्त की, जहाँ से उन्होंने अपनी दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद, 2022 में विवेक को बड़ा चौक स्कूल में मल्टीटास्क वर्कर (MTW) के रूप में नौकरी मिली। यह नौकरी उनके लिए एक स्थिर आय का स्रोत बनी और इससे उनका आत्मविश्वास और अधिक बढ़ा।

nahan special man

नौकरी से मिले सीमित समय के बाद, विवेक अपना अतिरिक्त समय बड़ा चौक में मिट्टी के सामान बेचने में लगाते हैं। वह अपने ग्राहकों को मिट्टी के दीए, बर्तन, मूर्तियां और अन्य सामान बेचते हैं। उनकी इस छोटी सी दुकान से उन्हें न केवल आर्थिक मदद मिलती है, बल्कि यह उनके आत्मनिर्भरता के सपने को साकार करने का भी एक जरिया है।

विवेक अपने जीवन से बेहद संतुष्ट हैं और कहते हैं, “मैं अपनी ज़िंदगी से खुश हूँ। जैसा भगवान ने मुझे दिया है, मैं उसमें पूरी तरह संतुष्ट हूँ।” उनका मिलनसार और हंसमुख स्वभाव उन्हें अपने ग्राहकों और पड़ोसियों के बीच लोकप्रिय बनाता है। विवेक की जिंदादिली और सकारात्मक दृष्टिकोण उनके जीवन का सबसे बड़ा आधार है, जो उन्हें हर मुश्किल में भी मजबूत बनाता है।

विवेक का जीवन इस बात का उदाहरण है कि शारीरिक सीमाएं कभी भी इंसान के सपनों या उनके संघर्षों पर हावी नहीं हो सकतीं। उनकी मेहनत और आत्मनिर्भरता ने साबित कर दिया है कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी कहानी समाज के अन्य लोगों के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

विवेक के पिता, रमेश चंद, अमरपुर मोहल्ले में एक किराए की दुकान चलाते हैं, जिससे परिवार की आर्थिक मदद होती है। उनकी माता दलविंदर कौर एक गृहिणी हैं, जो घर के कामों को संभालती हैं। विवेक का बड़ा भाई, आशीष कुमार, चंडीगढ़ में सॉफ्टवेयर से संबंधित कार्य करता है, जबकि उनकी बहन, आकांक्षा, ऑनलाइन काम करती हैं। परिवार में सभी अपने-अपने तरीके से आत्मनिर्भर हैं, और विवेक भी इसी भावना को आगे बढ़ा रहे हैं। विवेक कुमार जैसे लोग हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची खुशी और संतोष बाहरी परिस्थितियों में नहीं, बल्कि भीतर की सकारात्मकता और जज़्बे में छिपी होती है।

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