नाहन: जीवन में कुछ मुकाम हांसिल करने वालों को अक्सर हम किस्मत का धनी कहते हैं, लेकिन उस मुकाम तक पंहुचने के लिए उस व्यक्ति ने कितना संघर्ष किया है इस ओर शायद ही किसी का ध्यान जाता है। ऐसा ही उदाहरण जिला सिरमौर के दुर्गम क्षेत्र शिलाई के टटियाणा का सामने आया है। यहां कृपा राम का जन्म भी आम बच्चों की तरह ही हुआ, लेकिन जैसे जैसे उनकी उम्र बढ़ती रही आखों की रोशनी भी तेज गति से कम होती रही।

कक्षा 7-8 तक जाते जाते 80-90 प्रतिशत आंखों की रोशनी चली गई। जिसके बाद पी.जी.आई. चंडीगढ़ से गरीब परिवार ने किसी तरह ईलाज शुरू किया। लेकिन आंखों की रोशनी वापिस नहीं आई। 3 साल तक पढ़ाई छोडऩी पड़ी लेकिन कृपा राम ने अपने सपनों के आगे अंधेरे को टिकने नहीं दिया और शिमला जिला के ढ़ली में स्थित विशेष स्कूल से फिर से पढ़ाई शुरू की। ब्रेल लिपि सीखी और बाद में सुनने के यंत्रों का सहारा लेकर नाहन के राजकीय शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल से हास्टल में रहकर बाहरवीं की पढ़ाई पुरी की। जिसके बाद सोलन से स्नातक और शिमला विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई पुरी की।

पढ़ाई पुरी होने के बाद अब उनके सपनों को उस समय पंख लगे जब उन्होंने राजनीति शास्त्र विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) को उतीर्ण कर लिया है। कृपा राम ने बताया कि उनका बचपन से ही बच्चों को पढ़ाने का सपना रहा है। अब वह कमीशन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह 4 भाई-बहन हैं जिनमें वह सबसे बड़े हैं। पिता कौला राम व माता शीला देवी खेती बाड़ी करते हैं। गरीबी होने के बावजूद उन्होंने उनकी पढ़ाई के लिए हर संभव कोशिश की। हालांकि 2 वर्ष पूर्व पिताजी का भी निधन हो गया, जिसके बाद बड़ा बेटा होने के नाते परिवार की जिम्मेवारी ओर अधिक सिर पर आ गई। इसके अलावा उनके सभी शिक्षकों का मार्गदर्शन व सहयोग उन्हें मिला है। इसके अलावा शमशेर स्कूल में उन्हें प्रवक्ता दिनेश सूद का आज तक सहयोग मिल रहा है। 

अब स्मार्ट फोन की मिल रही मदद

एक तरफ जहां स्मार्ट फोन के बच्चों को प्रयोग को लेकर तरह तरह के सवाल उठते हैं तो वहीं यदि स्मार्ट फोन का बच्चे सही प्रयोग करें तो इसका बहुत अधिक लाभ भी बच्चों को मिल सकता है। इसका उदाहरण राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उतीर्ण कर कृपा राम ने पेश किया है। आखों की 90 प्रतिशत रोशनी जाने के बाद वह स्मार्ट फोन की मदद से पढ़ाई करते हैं और यूट्यूब पर जहां आज की अन्य पीढ़ी गानों व अन्य प्रकार की सामग्री देख कर अपना समय बर्बाद करती है तो वहीं कृपा राम जैसे दिव्यांगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। इसके जरिए वह सुन कर अपना ज्ञान आगे बढ़ा रहे हैं। जिसके बेहतरीन परिणाम उनके जीवन में सामने आ रहे हैं।

Share.
Leave A Reply

Exit mobile version