सोलन: समग्र शिक्षा, हिमाचल प्रदेश और डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने एक परिवर्तनकारी साझेदारी में प्रवेश किया है, जिसका उद्देश्य कृषि व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने वाले स्कूली छात्रों के बीच व्यावहारिक कृषि प्रशिक्षण प्रदान करना और उद्यमशीलता कौशल को बढ़ावा देना होगा। इस पहल से हिमाचल प्रदेश के 227 सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षाओं के 11,900 छात्रों को लाभ होगा।
इस साझेदारी के तहत, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में व्यावसायिक शिक्षा के लिए एक इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया जाएगा, जो छात्रों को प्रैक्टिकल सीखने के अमूल्य अवसर प्रदान करेगा। इस परियोजना को ₹2.8 करोड़ के बजट आवंटन के साथ समग्र शिक्षा द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। परियोजना के सफल कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय कृषि, बुनियादी ढांचे और डेटा प्रबंधन में अपनी विशेषज्ञता का योगदान देगा।
इनक्यूबेशन सेंटर का प्राथमिक लक्ष्य छात्रों को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण प्रदान करना है। नवाचार, कौशल विकास और अनुभवात्मक शिक्षा के लिए अनुकूल वातावरण बनाकर, यह परियोजना राज्य में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ाएगी।
नौणी विवि के कुलपति प्रोफेसर राजेश्वर सिंह चंदेल और समग्र शिक्षा, हिमाचल प्रदेश के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा के बीच गुरुवार शाम नौणी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
इस अवसर पर राजेश शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि यह सहयोग विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ‘स्टारस’ परियोजना का हिस्सा है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है, जो शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार और व्यावसायिक कौशल को बढ़ाने के लिए शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच अंतर को कम करने पर केंद्रित है। शर्मा ने छात्रों को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में चुनौतियों के लिए तैयार करने, उनके व्यावहारिक कौशल विकसित करने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के महत्व को दोहराया।
प्रोफेसर चंदेल ने अपने संबोधन में साझेदारी पर गर्व व्यक्त किया और शिक्षा को नवाचार और सामाजिक प्रभाव के साथ एकीकृत करने के विश्वविद्यालय के मिशन के साथ इस प्रोजेक्ट के जुड़ाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह सहयोग कृषि को एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर ऐसे समाज में जहां कई छात्र अक्सर इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे व्यवसायों की तुलना में कृषि को कम करियर विकल्प के रूप में देखते हैं। प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि इस मानसिकता के कारण कृषि पृष्ठभूमि से आने वाले युवा भी कृषि से दूर जा रहे हैं, जबकि इंजीनियरिंग और अन्य क्षेत्रों के छात्र इस क्षेत्र में सुनहरे उद्यम की ओर आकर्षित हो रहे और इसमें लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, खाली रहने से जैसे-जैसे बंजर कृषि भूमि बढ़ रही है, छात्रों को कृषि उद्यमिता की संभावनाओं के बारे में शिक्षित करके इस मानसिकता को बदलना महत्वपूर्ण होता जा रहा है। कृषि में प्रचुर अवसर हैं जिन्हें अक्सर कम वेतन और अपने घरेलू समुदायों से दूर व्हाइट कौलर नौकरियों के पक्ष में नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इस साझेदारी की प्रमुख विशेषताओं में आधुनिक कृषि उपकरणों, प्रयोगशालाओं और स्मार्ट कक्षाओं के साथ लैस अत्याधुनिक सुविधा की स्थापना शामिल है। कक्षा 9-12 के लिए 40-60 घंटे का एक प्रगतिशील पाठ्यक्रम राज्य की आवश्यकता के अनुरूप विश्वविद्यालय, शिक्षा और उद्योग विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया जाएगा। कृषि और बागवानी उत्पादकता में सुधार के लिए आर्टिफ़िश्यल इंटेलीजेनस, ड्रोन, रोबोटिक्स के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्चुअल और व्यक्तिगत दोनों तरह के प्रशिक्षण सत्र शामिल किए जाएंगे। उन्नत कृषि पद्धतियों, प्रौद्योगिकी एकीकरण और बाजार विश्लेषण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
छात्रों को मूल्यवान क्षेत्र दौरे, कार्यशालाएं और इंटर्नशिप प्रदान करने के लिए स्थानीय कृषि व्यवसाय, गैर सरकारी संगठन और किसान उत्पादक समूह को भी शामिल किया जाएगा। छात्र ग्रामीण विकास परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल होंगे, स्थानीय चुनौतियों की जानकारी हासिल करेंगे और नवीन समाधान विकसित करेंगे। विश्वविद्यालय के घटक कॉलेज और क्षेत्रीय स्टेशन भी इस परियोजना का हिस्सा होंगे। यह सहयोग कृषि में कुशल कार्यबल के निर्माण और क्षेत्र के कृषि भविष्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।