नाहन, 15 फरवरी: अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एल.आर. वर्मा ने कहा है कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना समृद्ध भारतीय गुरू-शिष्य परम्परा का अनुसरण करने वाली महत्वपूर्ण रोजगारोन्मुखी राष्ट्रीय योजना है। इस योजना का उददेश्य परम्परागत कार्यों और ग्रामीण कला को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के साथ ही ग्रामीण व्यवसायों को भविष्य में और अधिक लाभप्रद बनाना है। ग्रामीण स्तर पर इस प्रकार के विभिन्न परम्परागत व्यवसायों से जुड़े सभी लोगों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए आगे आना चाहिए।
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी एल.आर. वर्मा आज गुरूवार को नाहन में सूक्ष्म, लुघ एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे थे।
एल.आर. वर्मा ने कहा कि इस प्रक्रिया में आवेदन के लिए अपने लोक मित्र केन्द्र में आधार से लिंक मोबाइल नंबर, बैंक की पासबुक और राशन कार्ड साथ ले कर पंजीकरण करवा सकते हैं यह आवदेन पूरी तरह से निशुल्क है और लोक मित्र केंद्र संचालक इसके लिए कोई भी शुल्क वसूल नहीं कर सकते और अगर कोई लोक मित्र केन्द्र इसके लिए किसी भी तरह का शुल्क वसूल करेगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त करवाई की जाएगी।
एल.आर. वर्मा ने कहा कि आज की कार्यशाला में योजना के तहत पंजीकरण प्रक्रिया तथा 18 विभिन्न ट्रेडों के बारे में विस्तार से प्रतिभागियों को जानकारी प्रदान की गई, जिनका लाभ सभी को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत ऋण और प्रशिक्षण की सुविधा पात्र लाभार्थियों को प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना से जहां ग्रामीण स्तर पर परम्परागत कार्य करने वाले कामगारों और हुनरमंदों को वित्तीय सहायता मिलेगी वहीं उनकी कार्य दक्षता में भी वृद्धि होगी।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत सिरमौर जिला में अभी तक कुल 611 मामले जिला स्तरीय समिति द्वारा अनुशंसित कर राज्य समिति को प्रेषित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ हर जरूरतमंद को मिले इसके लिए पंचायत प्रतिनिधियों को प्रयास करने चाहिएं।
सहायक निदेशक भारतीय उद्यम विकास सेवा अशोक कुमार गौतम ने कार्यशाला में योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुय बताया कुल 18 ट्रेड्स जैसे बढ़ई (सुधार), नाव बनाने वाला, सुनार, राजमिश्री, अखकार, लोहार, हथौड़ा और टूल किट निर्माता, मरम्मत करने वाले, मूर्तिकार, पत्थर तराशने बाला, पत्थर तोड़ने वाला, कुम्हार, मोची (चर्मकार) जूता कारीगर, फुटवियर कारीगर, टोकरी, झाडू निर्माता, गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई आदि को इसमें शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण की तिथि पर लाभार्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी अनिवार्य है।
कार्यशाला का संचालन एवं समन्वयन शैलेश कुमार सिंह, सहायक निदेशक, एमएसएमई-विकास कार्यालय, सोलन द्वारा किया गया।
परियोजना अधिकारी ग्रामीण विकास अभिकरण अभिषेक मित्तल, महा प्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र साक्षी सत्ती, जिला पंचायत अधिकारी विक्रम ठाकुर, जिला अग्रणी बैंक प्रबंधंक राजीव अरोड़ा के अलावा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों के अलावा पंचायत प्रतिनिधियों ने जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया।