सोलन: जिला सोलन की आराध्य देवी मां शूलिनी 117 दिन बाद दोबारा अपने गर्भगृह में विराजमान हो गई। इसके चलते शुक्रवार सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालु पहुंचना शुरू हो गए थे।  मां शूलिनी को गर्भ में विराजमान करने से पहले पांच दिन तक मंदिर में अनुष्टान हुआ और 11 बजे माता अपने गर्भगृह में प्रवेश कर गई। इससे पहले मंदिर में भजन-कीर्तन चलता रहा और फिर माता के कल्याणों ने माता की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित कर दिया। ऐसे में अब श्रद्वालुओं को माता के दर्शन सीधे गर्भगृह से होंगे।

सोलन प्रशासन की ओर से एसडीएम पूनम बंसल इस मौके पर मौजूद रही। जानकारी के अनुसार शूलिनी माता मंदिर में काफी समय से जीर्णोद्वार का काम चल रहा था,जिसे पूरा कर लिया गया।  117 दिन बाद माता की मूर्ति की हुई स्थापना, कल्याणों ने काम के प्रति जताया था रोषवहीं मंदिर के गर्भगृह के निर्माण को लेकर कई बार कल्याणे और स्थानीय प्रशासन आमने-सामने आया था। यहां कई बार कल्याणों ने काम में देरी को लेकर असंतोष जाहिर किया था। उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर काम में देरी करने का आरोप भी जड़ा था।

कल्याणों ने उस समय कहा था कि जब गर्भगृह का काम शुरू हुआ तो उस समय प्रशासन ने दो सप्ताह के भीतर काम हो जाने का दावा किया था, लेकिन अब प्रशासन ने बीते करीब सौ से भी अधिक दिनों तक काम पूरा नहीं कर पाया। कल्याणो की माने इससे एक परेशानी तो यह थी कि माता के दर्शन के लिए श्रद्वालुओं को मुश्किल हो रही है तो वहीं दूसरी बड़ी परेशानी है कि 24 घंटे कल्याणों में से किसी एक की ड्यूटी मंदिर में लग रही थी। ऐसे में कल्याणों के भीतर रोष है। हालांकि अब मंदिर के गर्भगृह के काम पूरा होने से कल्याणों ने भी राहत की सांस ली है। सोलन की आराध्य देवी मां शूलिनी के प्रति लोगों की अटूट आस्था है। मां शूलिनी के नाम पर की सोलन का नाम पड़ा है।   

एसडीएम सोलन पूनम बंसल ने बताया कि मंदिर के काम को लेकर प्रशासन कोई भी कोताही नहीं बरतना चाहता था। लिहाजा काम पूरे सही तरीके से किया गया है। शुक्रवार को माता शूलिनी अपने गर्भगृह में विराजमान हो गई है।

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