सोलन: अधिकतर लोग संस्कृत भाषा को कठिन भाषा समझते है, लेकिन अब तक जटिल समझी जाने वाली देवभाषा संस्कृत को सीखना बेहद आसान हो गया है। संस्कृत भाषा को सीखने के लिए रॉट लर्निंग (रटकर सीखने) की आवश्यकता नहीं पढ़ेगी। न ही संस्कृत सीखने के लिए सूत्र व वर्तिकाओं को रटने की आवश्यता पड़ेगी।

सोलन के 90 वर्षीय वयोवृद्ध संस्कृत विद्वान प्रो. मनसा राम शर्मा अरूण ने संस्कृत भाषा को सीखने के लिए बेहद ही आसान तरीका निकला है। उनका दावा है कि इसके माध्यम से 24 मिनट में कोई भी व्यक्ति संस्कृत भाषा को सीख सकता है। उन्होंने अपने फार्मूले को स्वर्णिम आयत सिद्धांत का नाम दिया है।

संस्कृत विद्वान प्रो. मनसाराम शर्मा अरूण ने बताया कि संस्कृत हमारी देश की समृद्ध भाषा है, लेकिन भाषाई जटिलताओं के कारण कम ही युवाओं का रूझान संस्कृत भाषा की ओर है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा आज विश्व की सबसे लोकप्रिय भाषा के रूप में उभर रही है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा में व्याकरण को कभी भी अलग से नहीं पढ़ाया जाता। वाक्य के आधार पर ही व्याकरण को पढ़ाया जाता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत की सबसे छोटी व्याकरण पुस्तक लघु कौमुदी है। इसमें 1200, सूत्र, 1200 वार्तिकाएं और 1200 भाष्य हैं। ऐसे में संस्कृत भाषा को पढऩा और उसके ग्रामर को रटना आम आदमी के लिए मुश्किल हो जाता है।

इससे संस्कृत का व्याकरण भी कठिन हो जाता है और विद्यार्थी पर अनावश्यक बोझ भी पड़ जाता है। गैर संस्कृत भाषी लोगों को संस्कृत भाषा से जोडऩे के लिए उन्होंने स्वर्णिम आयत सिद्धांत तैयार किया। प्रो. शर्मा कहा कि आयत के 20 खंडों में एक-एक शब्द है। इन शब्दों को इधर-उधर करने से वाक्य बन जाता है। उन्होंने कहा कि 1 और 2 खंडों का एक सूत्र , 3 व 4 खंड का दूसरा सूत्र, पांच का तीसरा, 6 व 7 खंड का चौथा सूत्र, 8 व 9 अंकों का पांचवा सूत्र और 10 खंड का 6, 11व 12 का 7वां, 13 व 14 का 8वां, 15 खंड का 9वां सूत्र बन जाता है।

इनकी मद्द से किसी भी सीखने वाले को आसानी से प्रारंभिक संस्कृत आ जाएगी। इनके अलावा अन्य खंडों को विशेष ज्ञान के लिए प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि जहां एक वचन है, वहां क्रिया भी एकवचन की, जहां प्रथम पुरूष, वहां क्रिया भी प्रथम पुरूष की लगेगी। इससे हिन्दी भाषा को अच्छी तरह बोलने व लिखने वाला कोई भी व्यक्ति एक घड़ी यानि 24 मिनट में संस्कृत को सीख सकता है।

प्रो. मनसाराम शर्मा संस्कृत के जाने-माने विद्वान हैं। उन्होंने शिक्षा विभाग में संस्कृत प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान एस.सी.ई.आर.टी. सोलन में संस्कृत भाषा के प्रवक्ता के रूप में वर्षों तक अपनी सेवाएं दी। संस्कृत भाषा के लिए उम्र के इस पड़ाव में भी उनका जोश कम नहीं हुआ। संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए वह निरंतर कार्य करते हैं। सोलन में वह संस्कृत का हस्तलिखित समाचार पत्र चलाते हैं। प्रतिवर्ष सोलन में संस्कृत भाषा में मैरिट में आने वाले छात्रों को अपनी मासिक पेंशन छात्रवृतियां देते हैं।

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4 Comments

  1. आचार्य लक्ष्मी चंद्र अवस्थी आरा बिहार। on

    संस्कृत भाषा के महान पंडित मनसाराम शर्मा जी का अनुभव संस्कृत जगत के लिए अनूठी प्रस्तुति है। धन्यवाद।

  2. Ravinder vashisht on

    बहुत ही सराहनिय कार्य।
    सनातन और देव भाषा संस्कृत के उथान और सरक्षण की दिशा में।
    सादर प्रणाम और हार्दिक शुभकामनाएं।

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