नाहन: करीब 1300 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन एनएच 707 पांवटा साहिब – शिलाई -लालढांग लगातार विवादों में है। एक बार फिर क्षेत्र के लोगों ने निर्माण कार्यों में कंपनियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए मगर प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई कार्यवाही नहीं की जिस पर सवालिया निशाने पर आ गए हैंजिला मुख्यालय नाहन पहुंचे क्षेत्र के प्रभावित लोग और समाजसेवी नाथूराम चौहान मामले को मीडिया से रूबरू हुए। लोगों का कहना है कि जब से यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ है उसी समय से लेकर कंपनी द्वारा यहां पर अवैध तरीके से डंपिंग की जा रही है जिसके चलते शुरुआत में ही पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई कंपनी ने रिपेयर करने का आश्वासन दिया मगर आज तक क्षतिग्रस्त पाइपलाइन रिपेयर नहीं की गई है। 

लोगों का कहना है कि कई स्थानों पर आवश्यकतानुसार के मुताबिक सुरक्षा दीवारें नहीं लगाई जा रही है जिसके चलते यहां भूस्खलन हो रहा है जिससे कई मकानों को भी नुकसान पहुंचने का लगातार खतरा बना हुआ है। लोगों ने बताया कि जल्द मांग पूरी न हुई तो मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा और फिर भी कोई रास्ता ना निकला तो उन्हें मजबूरन न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।प्रभावित लोगों के साथ जिला मुख्यालय नाहन पहुंची समाजसेवी नाथूराम चौहान ने बताया कि शुरू से ही इस राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य में अनियमितताए बरती जा रही है उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी इस मामले में अलग-अलग दलीलें दे रहे हैं जो न्याय संगत नहीं है।उन्होंने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर डंपिंग साइट बनाई गई है और वहां भी उस सही तरीके से डंपिंग नहीं हो पा रही है उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासनिक अधिकारी भी इस मामले को लेकर अपने दायित्व नहीं निभा रहे हैं जिसे लेकर क्षेत्र के लोगों में खासा रोष है।

नाथूराम चौहान ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से और कंपनी प्रबंधन की तरफ से क्षेत्र के लोगों को सिर्फ झूठे आश्वासन मिलता रहे है। क्षेत्र के भगत राम शर्मा , बंसी राम , टेक चंद , लाखी राम , अनिल चौहान और घासीराम आदि ने बताया कि निर्माणाधीन कंपनियों द्वारा गलत स्थानों पर डंपिंग साइट बनाई गई है।उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर ऐसी जगह डंपिंग साइट बनाई गई है जहां से प्राकृतिक जल स्त्रोत और सिंचाई कूहल बंद हो गई है। ग्रामीणों ने कहा कि शिलाई और टिम्बी के बीच उत्तरी के समीप एनएच का निर्माण करने वाली कम्पनी द्वारा जहां डम्पिंग साइट बनाई गई है उस से दो पेयजल योजनाएं और एक सिंचाई कूहल प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर जो डंपिंग साइट बनाई गई है वहां पर लोगों के प्राकृतिक जल स्रोत बंद हो गए हैं और आने वाले समय में उन्हें पेयजल किल्लत से जूझना पड़ेगा। यही नहीं यदि  कफोटा और सतौन के बीच की बात करते हैं तो इन स्थानों पर भी गलत डंपिंग साइट बनाई गई है।

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