सिरसा:  अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने सरकारी धन में गबन करने और घुमंतू टपरीवास विद्यार्थियों के लिए आई लाखों की छात्रवृति को हड़प जाने के मामले में एक मुख्य अध्यापक को दोषी करार दिया है। मामले में सह-अभियुक्त लिपिक जगत व पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। पुलिस चालान के मुताबिक रानियां के खंड शिक्षा अधिकारी हरबंस लाल की शिकायत के आधार पर 24 अप्रैल 2003 को रानियां थाना में मुख्य अध्यापक खैराती लाल निवासी वार्ड नं. 9 एलनाबाद, डीपीईओ कार्यालय में सहायक जगत निवासी विष्णुपुरी डबवाली व पूर्व खंड शिक्षा अधिकारी त्रिलोचन सिंह निवासी चंडीगढ़ के विरुद्ध भादंसं की धारा 409, 467, 468 व 471 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आरोप था कि वर्ष 1999 से लेकर 2002 तक घुमंतू व टपरीवास बच्चों हेतु छात्रवृत्ति आई थी। तीनों आरोपियों ने 15 लाख 38 हजार 218 रुपये की इस छात्रवृत्ति को बजाए पात्रों को देने के स्वयं हड़प लिया। मामला खुला और तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी हरबंस लाल ने जांच की। इस जांच से उच्चाधिकारियों को भी अवगत करवाया गया। उच्चाधिकारियों की अनुशंसा पर तीनों के विरुद्ध रानियां थाना पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की। सरकारी धन के गबन सहित अन्य आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सीमा सिंघल की अदालत ने आज मामले की सुनवाई करते हुए सहायक जगत व त्रिलोचन सिंह को पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। जबकि मामले के मुख्य आरोपी मुख्य अध्यापक खैराती लाल को दोषी करार दिया। सजा का फैसला न्यायालय ने अपने पास सुरक्षित रखा है।

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