सिरसा:  प्रदेश की गौशालाओं में गोबर व गौमूत्र से बिजली व गैस उत्पादन के लिए केंद्रीय अक्षय ऊर्जा विभाग को एक नई परियोजना भेजी जाएगी जिससे सभी गौशालाओं में बिजली व गैस उत्पादन के सयंत्र स्थापित किए जा सकेंगे। यह बात सिरसा के सांसद अशोक तंवर ने आज स्थानीय पंचायत भवन में ‘गौ संरक्षण एवं गौ महत्ता’ की संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कही। आज आयोजित इस राष्ट्रीय स्तरीय संगोष्ठी में देश भर से आए गौ विशेषज्ञों ने भाग लिया और गाय के दूध, गोबर व गौमूत्र से बनने वाले पदार्थों के बारे के बारे में विस्तार से बताया और इन पदार्थों का व्यवसायिक दृष्टि से और किस प्रकार विकास किया जा सकता है इस बारे भी विस्तृत रुप से चर्चा की। इस विषय पर हरियाणा में यह पहली राष्ट्र स्तर की गोष्ठी थी जिसमें विभिन्न प्रदेशों से आए विशेषज्ञों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि अक्षय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा गोबर गैस प्लांट स्थापित करने हेतु हरियाणा में करोड़ों रुपए की राशि प्रदान की गई है जिससे प्रदेश की कई गौशालाओं में गोबर गैस उत्पादन के लिए सयंत्र स्थापित करने का कार्य शुरु हो चुका है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञों के अनुसार गाय के गोबर से अक्षय ऊर्जा भी पैदा की जा सकती है जिससे प्रदेश में बिजली की कमी को पूरा करके गौशालाओं से और अधिक आय अर्जित की जा सकती है।

उन्होंने बताया कि पशुधन की संख्या एवं दुग्ध उत्पादन के मामले में भारतवर्ष दुनिया का सबसे पहला देश है। देश में दुनिया की कुल पशु संख्या का 16 प्रतिशत हिस्सा भारत में है, लेकिन चिंता का विषय यह है कि प्रति व्यक्ति के हिसाब से पशु की संख्या के मामले में देश काफी देशों से पिछड़ा हुआ है इसलिए देश में गुणवत्ता के पशुओं की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे देश में दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ गोबर व मूत्र के उत्पादों में वृद्धि होगी और लोगों के लिए पशु एक अच्छी आय का स्त्रोत बन पाएंगे। उन्होंने कहा कि पशुधन विशेषकर गौ संरक्षण के मामले में हरियाणा सरकार ने और आगे डग भरे है। राज्य सरकार ने प्रदेश में गौ सेवा आयोग गठित करने की घोषणा की है यह काबिले तारीफ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आधी गौशालाएं सिरसा संसदीय क्षेत्र में है। इसलिए गौ संरक्षण के मामले में सबसे अधिक लाभ सिरसा को ही मिलने वाला है। वृंदावन से आए दिवेंद्र ने गाय के गोबर से उत्पादित नडेप कम्पोस्ट, जैविक खाद तथा स्वास्य वर्धक कुमार अंगराग हवा शुद्धि, स्वास्थ्य रक्षक धूप जैसे उत्पादों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि गोबरधन भारत की स्मृद्धि में एक नया आयाम स्थापित कर सकता है। राष्ट्र के पास 40 करोड़ टन गोबर है जिसका योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग करके विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकते है जिससे कृषि में अरबों रुपए का लाभ देश व किसानों को हो सकता है। उन्होंने अपने गोबरधन केंद्र में बनाए जा रहे विभिन्न उत्पादों के बारे में विस्तार से बताया। यदि देश की सरकार गोबरधन का योजनाबद्ध तरीके से विभिन्न उत्पादों की परियोजना तैयार कर काम करे तो देश में दो लाख 76 हजार करोड़ रुपए की प्रति वर्ष आय हो सकती है जिससे करोड़ों व्यक्तियों को रोजगार भी मिल पाएगा। उन्होंने गाय के गोबर की खाद से फसल उत्पादन में होने वाली वृद्धि के बारे में आंकड़े प्रस्तुत किए जिन्हें उपस्थित सभी लोगों ने एकमत से स्वीकार भी किया।

आई.आई.एम संस्थान के पूर्व छात्र डा. देवेंद्र सिंह हुड्डा ने गोबर प्रबंधन की तकनीकों के बारे में विस्तार से बताया और गाय के संरक्षण व गाय प्रजाति को और अधिक विकसीत करके किस प्रकार अधिक आय का स्त्रोत बनाया जा सकता है इस बारे भी बताया। इस संगोष्ठी में प्रदेश भर के लगभग 700 गौपालकों ने भाग लिया। इस मौके पर जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी अमीचंद सिहाग, कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य संयोजक डा. बी.एस श्योकंद, सपन गुप्ता, धर्मबीर बालयान, सरदार परमजीत सिंह, आनंद बियानी व अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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