धर्मशाला: अक्षम बच्चे अपनी प्रतिभा और हुनर के दम पर राज्य का नाम पूरे देश में रोशन कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि शारीरिक अक्षमता अभिशाप नहीं है तथा ऐसे बच्चों को सक्षम बनाने के लिए उनका सही मार्गदर्शन एवं मनोबल बढ़ाने आवश्यकता होती है ताकी वह अपने उद्देश्य को सार्थक बनाकर समाज में स्वाभिमान से जीवनयापन कर सकते हैं।

यह उद्गार सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री मति सरवीण चौधरी ने शुक्रवार को यहां के पुलिस मैदान में विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में बतौर मुयातिथि अपने संबोधन में व्यक्त किए। इससे पहले मुयातिथि ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया।

उन्होंने कहा कि राज्य के अक्षम बच्चों ने राष्ट्रीय स्तर की स्पेशल ओलंपियाड खेलों में कई पदक जीतकर सराहनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि विकलांगता को लेकर समाज को अपनी सोच बदलनी होगी और उनके उत्साहवर्धन के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं सहित बुद्विजीवी वर्ग के लोगों को आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि समाज के सभी लोगों को अक्षम बच्चों के लिए कुछ न कुछ समय निकालकर उनके सर्वांगीण विकास के लिए चलाई जा रही गतिविधियों में अपनी सहगभागिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इससे अक्षम बच्चों का मनोबल बढ़ेगा और वह सामान्य बच्चों की तरह वह समाज में अपनी गतिविधियां संचालित कर पाएंगे।

श्रीमति सरवीण चौधरी ने कहा कि हर व्यक्ति में कोई न कोई प्रतिभा छुपी होती है तथा अक्षम बच्चों को समाज में अपने आप को असहाय नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य में यदि दृढ़ इच्छाशक्ति प्रबल हो तो जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं होता है। उन्होंने बच्चों का आह्वान करते हुए कहा कि वह अपने को असक्षम न समझें, उनमें हर कार्य को करने की क्षमता है तथा सकारात्मक दिशा में आगे बढऩे का प्रयास करना चाहिए।

इस अवसर पर रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले अक्षम बच्चों को मुयातिथि ने पुरस्कृत भी किया।

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