नई दिल्ली: भारत के उपराष्ट्रपति मो. हामिद अंसारी ने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा में तभी सुधार हो सकता है जब राज्य विश्वविद्यालयों को ज्यादा धन प्राप्त होगा और वो नयी बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करेंगे और अपने वर्तमान शैक्षणिक कार्यक्रमों को समृध्द बनायेंगे, क्योंकि राज्य विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा की रीढ की हड्डी की तरह हैं और नामांकन की बड़ी संख्याओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। श्री अंसारी ने आज कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर अपने सम्बोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रमाण मिले हैं कि एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय का बजट कुछ राज्यों में सभी राज्य विश्वविद्यालयों के बजट से अधिक या बराबर है। जिस प्रकार केन्द्र सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से प्रारंभिक शिक्षा की जिम्मेदारी ली है, उसी प्रकार उसे एक साझे राष्ट्रीय उद्यम के रूप में राज्य विश्वविद्यालयों को अपने सहयोग में भी बड़े पैमाने पर वृध्दि करनी चाहिए।

श्री अंसारी ने यह भी कहा कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमारा सकल नामांकन अनुपात विश्व के औसत का आधा है, विकासशील देशों के औसत का दो-तिहाई है और विकसित देशों के औसत का पांचवां हिस्सा है । उन्होंने कहा कि हालांकि उच्च शिक्षा में कम नामांकन के बावजूद हम सकल घरेलू उत्पाद की 9 प्रतिशत विकास दर को प्राप्त करने में सफल रहे हैं, लेकिन हमारे उच्च शिक्षा नामाकंन को कम से कम दोगुना किए बिना हमारे लिए ऐसे आर्थिक विकास को बनाये रखना, हमारी प्रतिस्पर्धा को निरंतर बनाये रखना और उत्पादकता में वृध्दि करना संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर हम द्वितीय एवं तृतीय स्तरों पर पहुंच एवं शैक्षणिक परिणामों का विस्तार नहीं करेंगे तो हमारी जनसंख्या का लाभ, जनसंख्या के बोझ में बदल सकता है।

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