ज्वालामुखी: चार सौ बनाम चार हजार ज्वालामुखी नगर पंचायत के लिये इन दिनों चुनावी मुहिम पूरे यौवन पर है। मतदाताओं को रिझाने के तरह तरह के नुस्खे आजमाये जा रहे हैं। व एक दूसरे के खिलाफ हर वो बात इस्तेमाल की जा रही है। जिसका आभास शायद किसी को भी न हो। ज्वालामुखी की राजनिति में पिछले पचास सालों से एक खास बिरादरी का ही दबदबा रहा है। पहले पंचायत व बाद में ज्वालामुखी को नगर पंचायत का दर्जा मिला। लेकिन कमान इसी बिरादरी के हाथ रही।

दिलचस्प तथ्य यह है कि नगर के चार हजार मतदाताओं में से इस बिरादरी के मात्र चार सौ मतदाता ही हैं। लेकिन पहले बरिज किशोर दो बार अनिल फिर राजन शर्मा उनके बाद अब मनीषा शर्मा इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जो अब तक नगर के प्रधान रह चुके हैं। लेकिन इस बार लोगों में इस बात को लेकर खासी चरचा है कि दूसरी जाति के नेता को आखिर कमान क्यों न दी जाये। ज्वालामुखी में ब्राहम्ण चौदह सौ योजक समुदाय के चार सौ सूद बनिया पांच सौ एस सी सात सौ घिरथ बिरादरी के आठ सौ व अन्य जातियां दो सौ मतदाता हैं। जाहिर है हर बार ब्राहम्ण अन्य मतदाता इक्कठे हो कर मतदान करते रहे हैं। लेकिन इस बार जातिगत समीकरण बदला तो प्रधानी किसी दूसरी बिरादरी की ही होगी।

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