महेन्द्र सिंह के फार्मूले के आगे कांग्रेस पस्त, रेणुका सीट हारी

(एस.आर.पुण्डीर) नाहन।  रेणुका मे आजादी के बाद एक बड़ा राजनैतिक बदलाव पहली बार आया है। भाजपा ने रेणुका उपचुनाव बड़े अन्तर से जीत लिया है। ज़िला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती मीरा मोहन्ती ने बताया कि रेणुका विधानसभा की मतगणना के अनुसार भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार श्री हृदयाराम को 20,804 मत जबकि उनके निकटतम कांग्रेस के उम्मीदवार श्री विनय कुमार को 17,278 मत पड़े। उन्होंने बताया कि निर्दलीय उम्मीदवार श्री सुन्दर सिंह को 1,075 मत प्राप्त हुए। भाजपा प्रत्याशी हृदय राम 3526 मतो के अन्तर से जीते हैं।

आज दिन भर यहां राजनैतिक क्षेत्रों मे इस बात की भारी चर्चा हो रही है कि रेणुका उपचुनावों मे केबिनेट मन्त्री महेन्द्र सिंह का उपचुनाव जिताने का फार्मूला लगातार चौहदवीं बार पास पास हो गया है जबकि रेणुका कांग्रेस के भाजपा को बदनाम करने के सभी हथकण्डे रंेणुका की जनता ने फेल कर दिये है। केबिनेट मन्त्री महेन्द्र सिंह ठाकुर इससे पहले 13 उपचुनावों के प्रभारी रह चुके हैं तेरह तो जीते ही थे अब चौहदवां उपचुनाव भी जितवा कर उन्होने अपनी रणनीति का लोहा मनवा लिया है।

संगड़ाह मे भाजपा के चुनावी स्टोर पर छापा डलवा कर करीब 95 हजार रूपये बरामद करवाना तथा दो दिन बाद ही रेणुका मे स्थित रेणुका विकास बोर्ड के विश्रामगृह मे पुलिस से छापा डलवा कर शराब की 30 पेटियां बरामद करवा कर भाजपा के मन्त्रियों के त्यागपत्र मांगे थे तथा इन दोनो घटनाओं को खूब भुनाने के प्रयास किये थे। रेणुका मे कांग्रेसी राजनीति के पुराने खिलाड़ियों ने चुनाव के पहले चरण मे ही भाजपा पर अपनी मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का पूरा प्रयास किया था। कांग्रेस ने भाजपा के रूष्ट नेता तथा पूर्व विधायक रूपसिंह को अपनी पार्टी मे शामिल कर रेणुका की जंग मे अपनी राजनैतिक काबलियत दिखाने के पूरे प्रयास किये थे। मगर राजनैतिक पंडितों का मानना है कि इन राजनैतिक पैंतरों को मतदाताओं के बीच सही ढ़ंग से भुनाने के लिए किसी सधी हुई रणनीति के अभाव मे कांग्रेस इन राजनैतिक पैंतरों का समुचित लाभ नहीं उठा पाइ।

रेणुका उपचुनावों मे भाजपा का चुनाव प्रचार कमोबेश शान्त सुनियोजित तथा अत्यन्त प्रभावी ढंग से चलाया गया जिसने राजनैतिक विश्लेष्कों को भी हैरत मे डाल दिया था। यह भाजपा की ग्राउंड लेबल पर काम करने की उनकी नीति का ही परिणाम था कि भाजपाइयों ने गुपचुप ही महल, लादी महल तथा पालर पार क्षेत्र मे कांग्रेस के कई परम्परागत किलों को न केवल भेद डाला अपितु कई क्षेत्रों से तो कांग्रेस का सफाया ही कर दिया। ग्रेट खली से भाजपा को वोट देने की अपील करवा दी। भाजपा का चुनाव प्रचार अत्यन्त सुनियोजित ढ़ंग से चलता रहा है। भाजपाई नेता कांग्रेस के आरोपों व चुनावी प्रपंचों का जबाब देने मे समय बरबाद करने की बजाय अपने प्रचार पर ही ध्यान केन्द्रित करते रहे। रेणुका के हर दरवाजे पर दस्तक दे रहे भाजपा नेताओं व मन्त्रियों द्वारा चुनाव सम्पन्न होते ही हर घर के लिए, हर गांव मे थोक मे विकास कराने के आश्वासन दिये। रेस्ट हाउसों की सुख सुविधायें छोड़ कर मन्त्री रोज कइ कइ किलोमीटर पैदल चले तथा रातें ग्रामीणों के बीच ही गुजारी। मुख्यमन्त्री प्रो0 प्रेम कुमार धूमल की चुनावी सभाओं मे भी खूब भीड़ जुटने से जहां भाजपाइयों मे भारी उत्साह था वहीं मुख्य मन्त्री ने भाजपा के पुराने प्रत्याशी बलबीर को चुनाव के बाद ऊंचा पद देने की घोषणा कर टिकट न मिलने से नाराज चल रहे बलबीर समर्थकों को भाजपा प्रत्याशी हृदय राम को जिताने के लिए जी जान से जुट जाने को मजबूर कर दिया था। संगड़ाह मे एक अप्रेल से उपमण्डल खोलने तथा रेणुका का तेज गति से विकास करने की मुख्यमन्त्री की घोषणाओं को भी भाजपा कार्यकर्ताओ ने गांव गांव जा कर खूब भुनाया। लोगों से कहा गया कि भाजपा आयेगी तो विकास होगा मगर रेणुका को विकास के क्षेत्र मे पीछे धकेले वाली कांग्रेस से क्या मिलेगा ? यह लोग स्वयं फैसला करें

हिमाचल निर्माता स्व0 डा0 यशवन्त सिंह परमार की कर्मभूमी व उनके चुनाव क्षेत्र रहे रेणुका मे 1990 से 1993 के बीच का समय निकाल दिया जाये जब वहां से जनता दल के रूपसिंह ने कांग्रेस के डा0 प्रेम सिंह को हरा कर इस सीट पर कब्जा किया था, आजादी के बाद आज तक इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। पूर्व कांग्रेस विधायक स्व0 डा0 प्रेम सिंह रेणुका से छः बार जीत कर प्रदेश विधानसभा मे पहुंचे थे। रेणुका से 2007 के विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस के स्व0 डा0 प्रेम सिंह भाजपा के बलबीर सिंह को 3279 मतों से हरा कर जीते थे मगर 2009 मे हुए लोगसभा चुनाव मे यहां से भाजपा प्रत्याशी वीरेन्द्र कश्यप 3885 मतों की बढ़त ले गये थे। हाल ही मे सम्पन्न हुए पंचायतीराज चुनावों मे क्षेत्र की अधिकांश पंचायतों, जिला परिषद की तीनों सीटों पर तथा संगड़ाह बीडीसी पर भी भाजपा का कब्जा है जिसने वहां से कांग्रेस के हारने के पहले ही संकेत दे दिये थे।

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