ज्वालामुखी: हिमाचल में सत्तर फीसदी से भी अधिक लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। इसी के मध्येनजर राज्य सरकार ने 1094 करोड़ का कृषि अधारित विकास का माडल तैयार किया है। देश में कृषि के क्षेत्र में सर्वाधिक बजट प्रदान करने और कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता प्रदान करने के लिए की बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल को राज्य कृषि नेतृत्व पुरस्कार से नवाजा गया है। यह बात प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला ने यहां जारी एक प्रेस बयान में कही। बकौल उनके इस माडल के तहत तीन सौ करोड़ की रूपये की दूध गंगा परियोजना, 353 करोड़ की पंडित दीनदयाल उपाध्याय बागबानी कृषि योजना और 441 करोड़ की जैविक खाद योजना के अतिरिक्त मुख्यमंत्री आरोग्य पशुधन योजना प्रारंभ की गई है। इसी कड़ी में अब राज्य में भेड़ पालक समृद्वि योजना का श्रीगणेश किया गया है ताकि खेतीबाड़ी के साथ साथ किसान पशुपालन का व्यवसाय अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकें। पशुपालन समृद्वि योजना कांगड़ा, मंडी और चंबा जिलोंं के भेड़ पालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है।

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला के मुताबिक इस योजना के तहत भेड़पालकों को चालीस भेड़ें तथा दो मेढ़े खरीदने के लिए एक लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। इस योजना का लाभ उठाने वालों को उपलब्ध करवाई गई वित्तीय सहायता में से 33 प्रतिशत का अनुदान उपलब्ध करवाया जाएगा ताकि गरीब परिवारों से संबंध रखने वाले भेड़पालक अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकेें। उन्होंने बताया किराज्य सरकार ने कृषि अधारित विकास माडल का लाभ पात्र गरीब लोगों तक पहुंचाने के लिए अनुदान का प्रावधान किया है। इससे पहले राज्य के पांच जिलों मंडी,कांगड़ा, चंबा, शिमला और हमीरपुर में दुधारू पशु बीमा योजना भी प्रारंभ की है। इस योजना के तहत हर उस दुधारू पशु का जो कम से कम पांच किलो प्रतिदिन दूध देता है, का बीमा करने का प्रावधान किया गया है। इसमें बीमे का प्रीमियम सरकार व पशुपालक द्वारा आधा-आधा वहन किया जाता है। बीमा किए हुए दुधारू पशु की मृत्यु होने पर उसकी पूरी कीमत अदा की जाती है। रमेश धवाला का कहना है कि निर्धन व्यक्ति को गरीबी रेखा से उपर लाने के लिए आरंभ की गई महत्वाकांक्षी योजनाओं का निचले स्तर पर व्यापक प्रचार करना अनिवार्य है ताकि निर्धन व्यक्ति सरकार की विभिन्न योजनाओं का अपनी रूचि के अनुरूप लाभ उठा सकें।

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