ज्वालामुखी: झूठे वायदे बनेंगे गले की फांस ज्वालामुखी नगर पंचायत के चुनावों में चुनाव जीतने वाले कांग्रेस प्रत्याशियों के लिये सबसे बडी चुनौती तो वह वायदे हैं। जिसे कतई अमली जामा नहीं पहनाया जा सकता। मसलन अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने वाली अनिल प्रभा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा था कि आते ही वह नगर में लगे हाऊस टैक्स कों माफ करवा देंगी व खोखा मार्किट में बने खोखों का किराया कम कर दिया जायेगा। शायद अनिल प्रभा उस वक्त खुद भी इस बात को हल्के में लिया होगा। लेकिन ज्वालामुखी के लोग इस बात से प्रभावित हो गये व उन्होंने अनिल प्रभा को खुलकर समर्थन दे दिया। लेकिन अब बात सिर मुंडाते ही ओले पडने वाली हो गयी है। दरअसल उनके दोनों वायदे किसी भी सूरत में पूरे नहीं किये जा सकते।

कानून में इस रदेबदल को करने का कोई प्रावधान नहीं है। जाहिर है अगर यह वायदे पूरे नहीं होते हैं तो नयी नगर पंचायत के लिये आते ही मुसीबतें खडी होंगी। नगर पंचायत की आर्थिक हालत भी इन दिनों सुखद नहीं है । गृह कर न वसूल पाने की वजह से सरकार ने ग्रांट एन एड रोक इी है । बस अडडे व पार्किंग से जो राजस्व वसूली हो रही है उससे कर्मचारियों का वेतन भुगतान बमुशिकल हो रहा है । यही नहीं धूमल शासनकाल में प्रदेश में चुंगी वसूली खत्म हुई तो यहां तैनात 12 टोल गार्ड बेकार हो गये । अब उन्हें भी नगर पंचायत को वेतन देना पड़ रहा है । जबकि इनकी जरूरत नहीं है । दफतर में कलर्क,माली ,पलंबर तक सरप्लस हैं । तमाम लोग नगर पंचायत की माली हालत बिगाडऩे में सहायक सिद्घ हो रहे हैं । हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि नगर को साफ-सुथरा रखने के लिये तेंनात सफाई कर्मी व उनके लिये साजो समान नहीं मिल पा रहा है । सात वार्डों में दो दर्जन सफाई कर्मी सफाई को दुरूस्त रखने में नाकाफी हैं । जिससे जहां तहां कूढ़े के ढ़ेर दिखाई देते हैं ।

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