ज्वालामुखी: ज्वालामुखी के सरकारी अस्पताल को दूसरी जगह ले जाने की मांग तेज होने के बीच इलाके में इस मामले में राजनैतिक महौल गरमा गया है । सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र को नादौन रोड़ पर बने यात्रिनिवास में स्थापित करने की मांग जोर पकडने लगी है । यात्रि निवास इन दिनों खाली है व मौजूदा अस्पताल बस अड्डे के पास है । समूचे बदलाव के लिए यही आधार है । हालांकि पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के हाथों यहां नये बनने वाले भवन का शिलान्यास किया था। कुछ साल पहले नगर में यात्रियों की सुविधाके लिए मंदिर ट्रस्ट ने यात्रि निवास बनवाया था । लेकिन इसके रखरखाव व इस्तेमाल पर शुरू से ही विवाद रहा । पिछले दिनों ठेकेदार बिना भुगतान दिए फरार हो गया । यही वजह है कि अब यह भवन मंदिर ट्रस्ट के गले की फांस बन गया है । इसी आधार पर अब यहां अस्पताल स्थापित करने का तानाबाना बुना जा रहा है ।

दलील दी जा रही है कि अस्पताल बनने से भवन का रखरखाव सही ढग़ से हो पाएगा । मौजूदा अस्पताल बस अड्डे के पास है । इसको लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि यहां मरीजों को परेशानी होती है । बस अड्डïा छोटा है । अस्पताल बदला जाए तो अड्डे का भी विस्तार हो पाएगा । यात्रि निवास में करीब 42 कमरें हैं व साथ ही संगीतमय फव्वारा व संत्सग भवन है । बदलाव होने की सूरत में यहां नया बाजार विकसित हो सकता है । लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि नगर के बाहर अस्पताल बनाना असुविधाजनक होगा । ज्वालामुखी स्वास्थय केन्द्र पर 37 पंचायतो के करीब पच्चास हजार लोग निर्भर है। और वर्ष भर इस क्षेत्र में बाहरी राज्यो से यात्रीयों का आना जाना भी लगा रहता है। ऐसे में ज्वालामुखी में बेहतर स्वास्थय सुविधाओ का ना होना हर किसी को खलता है। ना तो इस अस्पताल में अल्ट्रासाउड की सुविधा है,ना ही एक्स रे हो पाता है।

लाखो रुपयो की एक्स रे मशीन धूल फांक रही है। सुविधा होते हुए भी सुविधा से वंचित होना पड रहा है। इनजैक्शन लगाने के लिए भी कोई नियुक्त नही किया गया है। लोगो व यात्रीयो को निजी क्लीनीको का रुख करना पडता है । ना तो एम्बुलेंस के पहिए काफी समय से दौडे हैं। निजी संस्था की एम्बुलेंस का सहारा लेना पडता है जिससे खर्च भी ज्यादा होता है। रोज 150 से उपर ओपीडी है मरीजो को अस्पताल की बजाए बाहर से दवाईयां खरीदनी पड रही हैं। घण्टो लाईनो में लगकर मरीजो को अपनी बारी का इंतजार करना पडता है।

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