शिमला: उपराष्ट्रपति श्री मोहम्मद हामिद अंसारी ने गत सायं नयी दिल्ली के होटल ताज पैलेस में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल को डायमण्ड स्टेट अवार्ड प्रदान किया।

नीलसन द्वारा आईबीएन-7 नेटवर्क एवं आउटलुक पत्रिका के लिए करवाए गए राष्ट्रव्यापी स्वतन्त्र सर्वेक्षण में हिमाचल प्रदेश को देश का श्रेष्ठ राज्य आंका गया है।

उपराष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रो.प्रेम कुमार धूमल को तीन पुरस्कार प्रदान किए। राज्य को शिक्षा, गरीबी उन्मूलन एवं समग्र विकास में देश भर में श्रेष्ठ राज्य आंका गया है।

मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने इस अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने शिक्षण संस्थानों में शून्य ड्रॉप आउट दर प्राप्त की है। प्रदेश सरकार ने शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों, जो समीप के शिक्षा संस्थानों में जाने में असमर्थ हैं, के लिए आवास आधारित शिक्षा के लिए व्यवस्था की है। राज्य ने सामाजिक क्षेत्रों में अनेक मील पत्थर स्थापित किए हैं। पूर्व सैनिकों ने शिक्षा व चिकित्सा अधोसंरचना निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षा व चिकित्सा संस्थानों के लिए उदारतापूर्वक धनराशि प्रदान कर उन्होंने इस दिशा में सराहनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि राज्य ने सदैव समावेशी विकास विकास हासिल करने का प्रयास किया है। प्रदेश में में कार्यान्वित की जा रहीं योजनाओं का मुख्य लाभार्थी आम आदमी बना है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद राज्य दूर-दराज व जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा व स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

प्रो. धूमल ने केन्द्र से आग्रह किया कि चीन द्वारा सीमा क्षेत्र पर विश्वस्तरीय आधुनिक रेल अधोसंरचना, सड़क और संचार व्यवस्था तैयार किए जाने के मद्देनज़र इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत सरकार सरकार देश की सुरक्षा योजनाओं पर प्रदेश के आग्रह पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। चीन ने लेह लद्दाख सीमा क्षेत्र पर रेल लाईन, हवाई अड्डे, सड़क नेटवर्क और आधुनिक संचार अधोसंरचना विकसित कर दी है लेकिन दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश के मनाली-लेह रेलवे लाईन निर्माण के आग्रह को केन्द्र अनदेखा कर रहा है। उन्होंने देश के सभी सीमावर्ती राज्यों के लिए समावेशी विकास तथा सीमावर्ती क्षेत्रांे में आधुनिक सुविधाएं व अधोसंरचना को विकसित करने पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार को अपने संवैधानिक कर्त्तव्यों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए तथा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की बाहरी आक्रमणों से सुरक्षित बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राज्य कृषि क्षेत्र पर बजट योजना का सबसे अधिक 12 प्रतिशत व्यय कर रहा है यह कृषि राज्य के रूप में उभरने जा रहा है। राज्य में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनेकों कार्यक्रम व नीतियां आरंभ की गईं हैं तथा जिससे कृषि क्षेत्र को अधिक बल मिला है।

हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 2009 में ई-गैजेट्स के लिए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार प्राप्त किया है। इसके अतिरिक्त हि.प्र. पुलिस के वैब पोर्टल को भी 2009 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार मिला है। प्रदेश ने नागरिक आधारित सेवाओं, समुचित वैब पहंुच और राष्ट्रीय पोर्टल के एनआईसी समन्वयक के लिए वर्ष 2010 में वैब रत्न पुरस्कार प्राप्त किया है। यह पुरस्कार भारत सरकार के सूचना मंत्रालय द्वारा प्रदान किया गया है। प्रदेश सरकार ने गत विधानसभा चुनाव में लोगों से किए अधिकतर वायदों को पूरा ही नही किया अपितु विकास की गति में भी तेजी लाई है। विभिन्न महत्वाकांक्षी परियोजनाओं व कार्यक्रमों से लोगों का कल्याण सुनिश्चित बनाया गया है।

सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार, स्ववालंबन और आत्म सम्मान सरकार के मुख्य ध्येय हैं। सड़कों के निर्माण व रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसे पहाड़ी राज्यों के विकास की जीवन रेखा कहा जाता है। 500 की जनसंख्या वाले गांवों को सड़क सुविधा से जोड़ने के बाद राज्य सरकार ने 250 की जनसंख्या वाले सभी गांवों को सड़क से जोड़ने की योजना बनाई है जिसे वर्ष 2012 तक पूरा कर लिया जाएगा।

हिमाचल प्रदेश को शिक्षा केन्द्र बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गुणात्मक शिक्षा सहित व्यवसायिक एवं तकनीकी शिक्षा और शिक्षण संस्थानों में अधोसंरचना सृजित करने पर राज्य सरकार द्वारा विशेष ध्यान दिया जा रहा है। लोगों को घर के नजदीक बेहतर विशेषज्ञ स्वास्थ्य देखभाल सुविधा उपलब्ध करवायी जा रही है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 2.98 लाख से अधिक परिवारों को 30 हजार रुपये का स्वास्थ्य बीमा छत्र प्रदान किया है। योजना के अंतर्गत गंभीर बीमारी पर 1.75लाख रुपये की सहायता दी जा रही है। हाल ही में 25 दिसम्बर से ‘अटल स्वास्थ्य सेवा’ आरम्भ की गयी है, जिसके अंतर्गत 35 मिनट के भीतर निःशुल्क ऐम्बुलेंस सेवा उपलब्ध करवायी जा रही है।

कृषि विविधिकरण एवं स्वरोजगार के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पन्नता लाने के लिए 353 करोड़ रुपये की ‘पंडित दीन दयाल किसान-बागवान समृद्धि योजना’ शुरू की गयी है। राज्य में ‘मुख्यमंत्री अरोग्य पशुधन योजना’ आरम्भ की गयी है, जिसके अंतर्गत अगले तीन वर्षों में इस सुविधा से वंचित 1272 पंचायतों में पशु औषधालय खोले जाएंगे। दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में एक अन्य महत्वपूर्ण योजना ‘दूध गंगा योजना’ भी राज्य ने आरंभ की है।

प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश को देश का ‘फल राज्य’ बनाने के लिए प्रभावी पग उठा रही है। प्रदेश में 85 करोड़ रुपये की ‘सेब पुनःरोपण परियोजना’ आरंभ की गयी है, जिसके अंतर्गत पुराने एवं कम उत्पादकता वाले सेब के पौधों को गुणात्मक एवं उच्च उत्पादकता वाले रूटस्टॉक से बदला जा रहा है। मण्डी, कांगड़ा, चम्बा, कुल्लू तथा शिमला जिलों के भेड़ पालकों के लिए ‘भेड़पालक समृद्धि योजना आरम्भ की गई है।

हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने अपार सौंदर्य एवं प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान किया है। प्राकृतिक एवं ग्रामीण पर्यटन को व्यापक प्रोत्साहन देकर पर्यटन विकास को नई दिशा प्रदान की गई है। राज्य को कार्बन न्यूट्रल बनाने के लिए पर्यावरण संरक्षण के प्रयास किए गए हैं। प्लॉस्टिक एवं पॉलीथीन बैग के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया गया है। 15 अगस्त, 2011 से प्लास्टिक के कप एवं प्लेटों के उपयोग पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया दिया जाएगा। प्रदेश सरकार समाज के सभी वर्गों के लोगों को सरकार के कार्यक्रमों, नीतियों व निर्णयों के माध्यम से लाभान्वित करने के प्रयास कर रही है। हिमाचल प्रदेश देश के उन कुछ गिने-चुने राज्यों में से एक है जिसने पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है।

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