सोलन: आत्मा परियोजना के सोलन निदेशालय द्वारा आज शहर के गोल्डन बेंचर्स होटल में ‘प्राकृतिक खेती की और हिमाचल उपलब्धि एंव भविष्य की योजनाएं’ विषय पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। सोलन जिला की परियोजना निदेशक डॉ. प्रियंका ने पत्रकारों को संबोधत करते हुए कहा कि खुशहाल जीवन के लिए प्रदेश के सभी किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्राकृतिक खेती पर विशेष बल देते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 15 करोड रुपए के बजट का प्रावधान किया है, इसमें पूरे देश में गेहूं मक्का के लिए सबसे अधिक ₹40 और ₹30 का समर्थन मूल्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत प्राकृतिक खेती करने वाले किसान परिवार से 20 क्विंटल तक अनाज खरीदा जा रहा है।

डॉ. प्रियंका ने बताया कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती वर्ष 2018 से शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि सोलन में लगभग 1915.642 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि सोलन में अब तक लगभग 620 प्रशिक्षण शिविर लगाए जा चुके हैं, जिसमें लगभग 13077 किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। डॉ. प्रियंका ने बताया कि लगभग 12670 किसानों ने विधिवत रूप से प्राकृतिक खेती को अपना लिया है तथा इन किसानों का सितारा पोर्टल के माध्यम से पंजीकरण एवं प्रमाणीकरण किया जाता है।
डॉ. प्रियंका कंडवाल ने कहा कि सोलन में वर्ष भर टमाटर का उत्पादन होने की वजह से सोलन को अब “सिटी ऑफ़ रेड गोल्ड के नाम से जाना जाता है। डॉ. प्रियंका ने कहा कि सोलन में अभी तक 10000 किसानों को प्रमाणित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि जिला में ऐसे बहुत से सफल किसान है जो रासायनिक खेती को दरकिनार कर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। खरीफ मौसम में टमाटर, शिमला मिर्च, भिंडी, फ्रांसबीन, अदरक, मक्का, मूंग, उड़द सहित रबी में गेहूं, चना, मदर, लहसुन, गोभी, सरसों, आलू, मूली, पालक, धनिया आदि की खेती की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि किसानों बागवानों के कल्याण के लिए प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना के अंतर्गत सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की शुरुआत की है। लगभग 6 वर्ष पूर्व शुरू की गई इस योजना के सफल परिणाम मिलने शुरू हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश की 3584 पंचायतों में 215000 से अधिक किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। आत्मा (ATMA) Agriculture Technology Management Agency परियोजना के अंतर्गत किसानों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण, फसल प्रदर्शनी व ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहते हैं।
इस अवसर पर उप परियोजना निदेशक (आतमा)सोलन लीज़ा राठौड़, विभाग के सुरेश के अलावा प्रगतिशील किसान शैलेंद्र शर्मा, संजीव ठाकुर, बालकृष्ण व राजेंद्र प्रकाश ने भी अपने प्राकृतिक खेती के अनुभवों को मीडिया के समक्ष साझा किया।