सोलन: हिमाचल के जागरूग लोग भी लद्दाख के समाजसेवी एवं पर्यावरणविद् सोनम वांगचुग के समर्थन में आगे आए हैं। यहां के रिटायर आईएएस, आईपीएस, सैन्य अधिकारी व अन्य लोगों ने रविवार को अपने-्अपने घर पर उपवास किया।

ये हैं सोनम वांगचुग की मांगे

लद्दाख के प्रमुख समाजसेवी एवं पर्यावरणविद् सोनम वांगचुग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने, इस क्षेत्र को भारतीय संविधान की छटी अनुसूची में शामिल करने और लद्दाख के पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी संरक्षण के संबंध में केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षण करने के लिए 21 दिन के आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनके अनुसार सरकार की विकास संबंधी दोषपूर्ण नीतियों के फलस्वरूप इस क्षेत्र के अति संवेदनशील पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के चलते विपरीत  प्रभाव पड़ रहा है।

जहां एक ओर तापमान में वृद्धि के कारण चोटियों से अत्यंत तीव्र गति से ग्लेशियर पिघल कर समाप्त हो रहे हैं। दूसरी ओर यहां के अति संवेदनशील इको सिस्टम को भी भारी क्षति पहुंच रही है। इससे वनस्पतियों की प्रजातियों और जीव जंतुओं पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। पर्यावरण संबंधी जिन विषयों को लेकर सोनम वांगचुग आमरण अनशन पर बैठे हैं, उन सभी समस्याओं का सरोकार हिमाचल प्रदेश से भी है।

 आज इन लोगों ने रखा उपवास

रविवार को एक दिन का अनशन करने वालों में पूर्व आईएएस अधिकारी शरभ नेगी सोलन, रिटायर प्रमुख अभियंता सोनम रिंगचेन नेगी शिमला, पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविंद शारदा, आईएफएस अधिकारी  हितेंद्र शर्मा सोलन, सेवानिवृत महाप्रबंधक इंडियन ओवरसीज बैंक यशवंत नेगी सोलन, वैज्ञानिक डॉ. भानू नेपानी, कर्नल राजीव ठाकुर, रिटायर अधीक्षक ग्रेड-वन ओमप्रकाश कायस्थ, सेवानिवृत शिक्षक निर्मला शर्मा, सेवानिवृत ज्वाइंट रजिस्ट्रार ओपी शर्मा, जीएम पद से सेवानिवृत बलवान नेगी, सोशल वर्कर मीरा शांडिल, शिक्षाविद् अनुपमा चौहान राजगढ़, शिक्षाविद् डॉ. अजय चौहान, प्रेमचंद पुस्तकालय अध्यक्ष भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान शिमला शामिल रहे। सभी लोगों ने सोनम के समर्थन में एक दिन का उपवास रखा।

इसलिए किया समर्थन

पूर्व आईएएस अधिकारी व लेखक शरभ नेगी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का एक-तिहाई भाग जो जनजातीय क्षेत्र हैं। वह भौगोलिक दृष्टि से हिमालय पार का बर्फ रहित शीत रेगीस्थान है। यहां की भौगौलिक संरचना, जलवायु, वनस्पति और जीव-जंतु लद्दाख में समानता है। आज विकास संबंधी विभिन्न दोषपूर्ण नीतियों के कारण हिमाचल प्रदेश का पर्यावरण और पारिस्थितिकी संतुलन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

ये अनशन लद्दाख नहीं बल्कि पूरे हिमालयन रीजन के लिए

सोनम वांगचुग का यह अनशन केवल लद्दाख के लिए नहीं बल्कि पूरे हिन्दूकुश परि-पंचाल और संपूर्ण हिमालय क्षेत्र के पर्यावरण और पारिस्थितिकी  संरक्षण के लिए है। हिमालय से ही भारत का अस्तित्व है। हिमालय से ही भारत की जलवायु प्रभावित करने तथा जलापूर्ति में क्या योगदान है,इसे कौन नहीं जानता है। इसलिए प्रत्येक संवेदनशील भारतीय को सोनम वांगचुग के प्रयास के प्रति समर्थन प्रकट करना चाहिए। हिमाचल के कुछ जागरूक लोगों ने रविवार को सोनम वांगचुक के समर्थन में अपने-अपने घर पर एक दिन का उपवास रखा है।

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