नाहन: आज मंगलवार के दिन बासड़े का पर्व बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है । प्रत्येक वर्ष भारी संख्या में श्रद्धालु माता के मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद शीतला माता का आशीर्वाद लेते हैं | पिछले कुछ वर्षों में कोरोना की बंदिशों के कारण सभी त्योहारों पर असर रहा, लेकिन इस वर्ष शहर के लोगों ने सुबह होने से पहले ही शीतला माता मंदिर पहुंचना शुरू कर दिया था | उल्लेखनीय है कि माता के दरबार में रात को बनाकर रखा भोजन प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है ।

शीतला माता का आशीर्वाद लेने के लिए शहर के लोगों की भारी भीड़ सोमवार देर रात को ही बस अड्डा के समीप शीतला माता मंदिर पहुंचना शुरू हो गई थी और सुबह तक लंबी लाइन में लगकर श्रद्धालुओं ने अपनी बारी का इंतजार किया। अपनी बारी आने पर लोगों ने माता के दरबार में माथा टेका और भोजन प्रसाद के रूप में चढ़ाया।

गौरतलब है कि चैत्र मास के पहले और दूसरे मंगलवार को लोग बड़ी संख्या में माथा टेकने के लिए यहां पहुंचते हैं। खास बात यह है कि सोमवार को लोग जो अपने घरों में पकवान बनाते हैं, उसी पकवान को लोग देर रात को 12 बजे के बाद माता के दरबार में चढ़ाते हैं जिसमें मुख्य रूप से हलवा पूरी, गुलगुले, गुड़ की भेली और चने की दाल आदि शामिल हैं। यही कारण है कि माता के दरबार में बासा भोजन चढ़ाने की वजह से इस पर्व को बासड़े कहा जाता है।

मान्यता के अनुसार यहां नवविवाहित जोड़े और छोटे बच्चों को माथा टेकने के लिए विशेष रूप से लाया जाता है। मान्यता यह भी है कि बच्चों के यहां माता का आशीर्वाद लेने से उन्हें भविष्य में चिकन पॉक्स जैसी बीमारी नहीं होती। लोगों का मानना है कि शीतला माता बच्चों को शीतलता प्रदान करती है। यही कारण है कि हर वर्ष यह पर्व पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जो लोग किसी कारणवश शीतला माता मंदिर नहीं पहुंच पाते हैं। वह अपने घरों में ही शीतला माता की पूजा-अर्चना कर माता को बासा भोजन प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं और बच्चों की सलामती की दुआएं करते हैं।

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