अगला जन्म
कितना भ्रमित मन कि इक बार का मिलन मांगता था सदैव, पर क्या दे पाये तुम कोई नया संदेश, उकेर दी तुमने कई नई रेखायें ...
Read moreकितना भ्रमित मन कि इक बार का मिलन मांगता था सदैव, पर क्या दे पाये तुम कोई नया संदेश, उकेर दी तुमने कई नई रेखायें ...
Read moreतुम्हारा जाना मेरे लिये आम बात नही मैं अनाथ सी हो गई हूं क्योंकि तुम मेरी जिन्दगी में सर्दी की धूप गर्मी की ठंडक थे ...
Read moreआधुनिकता की दौड में मनुष्य खोता जा रहा अपना अस्तित्व, पहचान | सिमटता और शायद सिंकुडता जा रहा कुछ एक उपकरणों का साथ लेकर | ...
Read moreनन्ही कली जो मसल दी गई फूल बनने से पहले पुकारती, चीखती सी कहती मां से, मां तुम इतनी निष्ठुर कैसे हो गई, जानती हो ...
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