पंकज जयसवाल

नाहन से सटे रामा गांव का भगवान श्री राम से गहरा नाता, जानिए इतिहास

नाहन : जिला मुख्यालय नाहन से लगभग 20 किलोमीटर दूर बसा रामा हिमालय की तलहटी में बसा एक छोटा सा खूबसूरत गांव है, जिसे भगवान राम की पूजा से जुड़े धार्मिक संदर्भ के कारण जाना जाता है। यह मान्यता है कि इस गांव का नाम भगवान राम की पूजा और उनके साथ जुड़ी धार्मिक मान्यता के कारण रखा गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम अपने वनवास में कुछ समय यहां रुके थे और उन्होंने यहाँ एक शिवलिंग की स्थापना की थी, आज उसी जगह यहां भगवान शिव का मंदिर स्थापित है। उस समय के शिवलिंग के प्रमाण आज भी मौजूद हैं।

रामा गांव के इतिहास के बारे में बात करते हुए, सेवानिवृत्त शिक्षक श्री दयानन्द शर्मा ने गांव की प्राचीन धरोहर और इसके ऐतिहासिक संदर्भों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह माना जाता है कि 1252 में राजस्थान के जैसलमेर जिले से कुछ ब्राह्मण लोग चंद्रवंशी राजा ढाक प्रकाश की एक रानी के साथ इस गांव में आए थे। इन ब्राह्मण परिवारों ने गांव को अपनी स्थायी निवास भूमि बना लिया और यहीं बस गए। यहां आज भी सभी लोग एक ही परिवार से सम्बंधित है।

श्री दयानन्द शर्मा के अनुसार, यह परिवार अपने साथ राजस्थान की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को लेकर आया था, जिसे उन्होंने इस गांव में स्थापित किया। उन्होंने बताया कि रामा गांव की स्थापना और विकास इन्हीं ब्राह्मण परिवारों की कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम है।

rama village history

गांव के पुरातन धार्मिक महत्व का जिक्र करते हुए, उन्होंने बताया कि भगवान राम के वनवास के समय यहां शिवलिंग की स्थापना की गई थी, और उसी स्थान पर आज भी शिव मंदिर स्थित है। इस गांव की प्राचीन धरोहर और धार्मिक मान्यताओं ने इसे एक पवित्र और ऐतिहासिक स्थल बना दिया है।

जब 1673 में उस समय के राजा कर्म प्रकाश ने नाहन को राजधानी बनाया और गांव के लोगों को बिना लगान जिसे भामला कहतें है, के लिए भूमि प्रदान की थी। इस अवधि में गांव के लोग मुख्य रूप से पशुपालन और कृषि कार्य से जुड़े थे।

यहां एक राम मंदिर भी है जो की शायद अपने आस पास के क्षेत्र में इकलौता राम मंदिर है। जहां राम कथा और नवरात्रों के जागरण का आयोजन किया जाता है। यहां हर साल नौ दिनों तक राम कथा का आयोजन किया जाता है, जिसमें गांव के लोग और आसपास के क्षेत्र के लोग भाग लेते हैं। चैत्र नवरात्रों के जागरण और भंडारे का आयोजन भी इस अवधि के दौरान होता है, जो गांव की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखता है।

कालांतर में यहां एक बड़ा तालाब भी होता था और आज उसी जगह पर एक पाठशाला है। गांव में 1953-54 में एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गई। यह विद्यालय समय के साथ उन्नत हुआ। 1969 में इसे मिडल स्कूल का दर्जा मिला और 1989 में इसे उच्च विद्यालय का दर्जा मिला। आज से 8 या 10 साल पहले यह वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बना है।

विद्यालय में एक सुंदर खेल मैदान भी है, जिसमें कई खेल गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। यह खेल मैदान गांव के बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। करीब 25 साल पहले जब नाहन तहसील में क्रिकेट के मैदानों की गिनती उंगलियों पर की जा सकती थी। उन चुनिंदा मैदानों में एक खास नाम था – रामा का ग्राउंड। यह मैदान क्रिकेट प्रेमियों के बीच एक प्रमुख स्थान रखता था, जहाँ कुछ बेहतरीन मैच खेले जाते थे। आज गांव में वन विभाग की चौकी और नवयुवक मंडल का भवन भी है, जो सामाजिक गतिविधियों और वन संरक्षण में योगदान देता है।

रामा की कहानी न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों से समृद्ध है, बल्कि यह गांव कई महान व्यक्तियों की जन्मभूमि भी रहा है। उनमें से एक प्रमुख नाम शिवानंद रमौल का है, जो इस गांव के मूल निवासी थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। इस गांव के रहने वाले शिवानंद रमौल एक सांसद भी रह चुके जो की बाद में भरोग बनेड़ी में बस गए और उनके परिवार के सदस्य आज पावंटा साहिब और नाहन में रहते हैं ।