नाहन: एशिया में सबसे अधिक उंचाई पर स्थित श्री रेणुका जी लायन सफारी की अस्तित्व खतरे में है। यहां शेरों की संख्या 29 से घटकर 3 रह गई है साथ ही एक अरसे से शेरों की क्रास ब्रीडिंग नहीं करवाई जा रही है। केंद्रीय चिडियाघर प्राधिकरण (सी जैड ए) के निर्देश पर राज्य के वन्य प्राणी विभाग ने इस सफारी से 4 शेर व शेरनियों को चंडीगढ के समीप छतबीर जू व हिमाचल के गोपालपुर चिडियाघर में शिफ्ट कर दिया है। हैरानी इस बात की है कि सी जैड ए ने सुविधाओं की कमी का हवाला देकर यहां से शेर व शेरनियों को शिफट तो करवा दिया, मगर सी जैड ए का ध्यान इस बात पर नहीं गया है कि सफारी में शेर व शेरनियों को आपस में मिलने नहीं दिया जा रहा है। सनदे रहे कि सी जैड ए की टीम ने मई में सफारी का दौरा किया था।

विभाग की दलील है कि सिंह विहार में शेर वंशानुगत विसंगतियों की चपेट में है। लिहाजा क्रास ब्रीडिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती है लेकिन सवाल उठता है कि अन्य वंश के शेर को सफारी में लाने की योजना क्यों नहीं बन पाई है। वन परिक्षेत्राधिकारी श्री रेणुका जी शिव कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में सिंह विहार में एक शेर व दो शेरनियां है जिनकी आयु लगभग 10 वर्ष की है। उन्होंने बताया कि पिछले 10-12 साल से शेरों की क्रास ब्रीडिंग नहीं हो रही है। वहीं इस बारे में श्री रेणुका जी पहुंचे पर्यटकों ने बताया कि श्री रेणुका जी में शेरों की संख्या निरंतर घटती जा रही है जो कि बहुत चिंता का विषय है इससे यहां के पर्यटन को काफी नुक्सान उठाना पडेगा इसलिए प्रदेश सरकार को चाहिए कि यहां से शेरों को स्थानांतरित करने की वजह इनकी संख्या में इजाफा करना चाहिए। लोगों ने बताया कि शेरों की क्रास ब्रीडिंग होनी चाहिए जिससे इनकी संख्या में इजाफा हो।

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