वीरभद्र सिंह जब प्रदेश में मुख्यमंत्री थे और आनंद शर्मा केंद्र में मंत्री थे तो उस दौरान दोनों में कई बार तनातनी रह चुकी है। हालांकि, आनंद शर्मा को राजनीति में आगे बढ़ाने में शुरुआत में वीरभद्र सिंह का ही हाथ रहा है, मगर आनंद की हाईकमान से नजदीकी के बाद दोनों के संबंध तनातनी वाले रह चुके हैं।

कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता और पूर्व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा चुनावी साल में हिमाचल प्रदेश में फिर दिलचस्पी दिखाने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और वर्तमान में उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह के शिमला ग्रामीण हलके के लिए राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने 25 लाख रुपये जारी किए हैं। यह जानकारी खुद विक्रमादित्य सिंह ने अपने फेसबुक पेज पर डाली है। यह दिलचस्प है कि आमतौर पर सांसद निधि का पैसा खर्च करने में आनंद शर्मा कंजूसी दिखाते रहे हैं।

विक्रमादित्य सिंह ने आनंद शर्मा की ओर से उपायुक्त शिमला को लिखी एक चिट्ठी ही अपने फेसबुक पेज पर डाली है। इसमें उन्होंने डीसी शिमला को शिमला ग्रामीण क्षेत्र में सामुदायिक भवन सुन्नी के लिए 25 लाख रुपये की धनराशि जारी करने के आदेश दिए हैं। आनंद शर्मा ने अपनी चिट्ठी में यह भी लिखा है कि बताए गए कार्य को जल्द पूरा किया जाना चाहिए। विक्रमादित्य सिंह ने बताया है कि हनुमान मंदिर सुन्नी में करीब दो करोड़ की लागत से सामुदायिक भवन बनाया जा रहा है।

वीरभद्र सिंह जब प्रदेश में मुख्यमंत्री थे और आनंद शर्मा केंद्र में मंत्री थे तो उस दौरान दोनों में कई बार तनातनी रह चुकी है। हालांकि, आनंद शर्मा को राजनीति में आगे बढ़ाने में शुरुआत में वीरभद्र सिंह का ही हाथ रहा है, मगर आनंद की हाईकमान से नजदीकी के बाद दोनों के संबंध तनातनी वाले रह चुके हैं। वीरभद्र के विरोध में रहते आए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू को आनंद शर्मा का अभयदान ही था, जिससे वह छह साल तक पार्टी अध्यक्ष तो रहे ही, बल्कि वीरभद्र से उनका कई बार टकराव भी रहा है।

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