नाहन: जिला सिरमौर में भाषा एंव संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जिला स्तरीय लोक नृत्य व वाद्य दल प्रतियोगता के अन्तिम दिवस में उपायुक्त सिरमौर बतौर मुख्य अतिथी उपस्थित रहे तथा उन्होने प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले दलों को पुरस्कार भी वितरित किए। इस अवसर पर उन्होने कलाकारों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिमाचल की संस्कृति एक समृद्ध संस्कृति के रूप में जानी जाती है जिसमें जिला सिरमौर की लोक संस्कृति लोक गीत व नृत्य एवं वाद्य यंत्र एक अलग पहचान रखते है। इस तरह की प्रतियोगिता के आयोजन से हमारी प्राचीन संस्कृति व अनेकों सांस्कृतिक विधाओं का संरक्षण होता है।

उन्होंने कहा कि जिला सिरमौर की ऐसी एक विभूति पदमश्री विद्यानंद सरैक जी से प्रेरणा लेनी चाहिए जो हमारे बीच उपस्थित हैं, जिन्होंने लोक संस्कृति के संरक्षण में अपना जीवन दिया है। जिसके लिए भारत सरकार ने इन्हें पदम श्री से सम्मानित किया है। इनके द्वारा लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए किए गए सराहनीय कार्य व योगदान से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि जो प्राचीन लोक संस्कृति हमें विरासत में मिली है केवल उसका संरक्षण व संवर्धन ही नहीं बल्कि इसे अगली युवा पीढ़ी तक पहुंचाना भी हमारा नैतिक कर्तव्य होना चाहिए।

वाद्य दल प्रतियोगिता में शिवशक्ति लोकवाद्य दल पालू ने प्रथम स्थान जबकि शिरगुल महाराज वाद्यदल गाताधार ने द्वितीय व शिरगुल वाद्य दल अंधेरी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया।इसी तरह आज हुई लोक नृत्य दल प्रतियोगिता में आसरा संस्था जालग ने प्रथम स्थान, बुड़ाह लोक नृत्य सैंज द्वितीय व बुड़ाह लोक नृत्य दल ऊंचा टिक्कर तृतीय स्थान पर रहे जिन्हें उपायुक्त सिरमौर ने पुरस्कार प्रदान किए। इससे पहले भाषा अधिकारी कांता नेगी ने मुख्य अतिथि को लोईया व डांगरा देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर उपायुक्त ने भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से पदमश्री विद्यानंद सरैक को लोईया व डांगरा देकर सम्मानित किया।

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